"सभ्यता क्या है?" में जवाहरलाल नेहरू सभ्यता के अर्थ पर विचार करते हैं और इसे बर्बरता (जंगली अवस्था) के विपरीत बताते हैं। वह समझाते हैं कि सभ्यता का अर्थ है सुधार और अच्छी आदतें अपनाना, जबकि वर्बरिटी वह अवस्था है जब मनुष्य लगभग जानवरों जैसा होता है। वे सवाल उठाते हैं कि किस आधार पर किसी व्यक्ति या समाज को सभ्य कहा जा सकता है। यूरोप के लोग एशिया और अफ्रीका के लोगों को जंगली समझते हैं, लेकिन नेहरू बताते हैं कि कपड़े और ताकत जैसी चीजें सभ्यता का मापदंड नहीं हो सकतीं।
नेहरू प्रथम विश्व युद्ध का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि कैसे देशों ने लाखों लोगों की हत्या की और इसे सभ्यता नहीं कहा जा सकता। वे इसे जंगली व्यवहार की तरह मानते हैं और इस विचार को खारिज करते हैं कि युद्ध में शामिल देश जैसे इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस आदि सभ्य हैं, भले ही उनके पास बहुत सी अच्छी चीजें और लोग हों।
अंत में, नेहरू कहते हैं कि सभ्यता की असली पहचान सिर्फ भव्य इमारतों या कला में नहीं, बल्कि उन लोगों में है जो स्वार्थी नहीं हैं और सबकी भलाई के लिए मिलकर काम करते हैं। मिलजुल कर काम करना, खासकर सामूहिक भलाई के लिए, सभ्यता की सबसे बड़ी निशानी है।
इसी पत्र से : "अब तुम कहोगी कि सभ्यता का मतलब समझना आसान नहीं है, ओर यह ठीक है। यह बहुत ही मुश्किल मामला है. अच्छी-अच्छी इमारतें, अच्छी-अच्छी तसवीरें और किताबें और तरह-तरह की दूसरी और खूबसूरत चीज़ें ज़रूर सभ्यता की पहचान हैं, मगर एक भला आदमी जो स्वार्थी नहीं है और सब की भलाई के लिए दूसरों के साथ मिलकर काम करता है सभ्यता की इससे भी बड़ी पहचान है. मिलकर काम करना अकेले काम करने से अच्छा है, और सब की भलाई के लिए एक साथ मिलकर काम करना सबसे अच्छी बात है ."
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पाठ 11 सभ्यता क्या है?
Lesson 11 What is Civilization?
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