"इन्हीं नए पाषाण-युग केआदमियों ने एक बहुत बड़ी चीज़ निकाली. यह खेती करने का तरीका था। उन्होंने खेतों को जोतकर खाने की चीजें पेदा करनी शुरू कीं. उनके लिए यह बहुत बड़ी बात थी. अब उन्हें आसानी से खाना मिल जाता था, इसकी जरूरत न थी कि वे रात दिन जानवरों का शिकार करते रहें।अब उन्हें सोचने ओर आराम करने की ज़्यादा फुर्सत मिलने लगी. ओर उन्हें जितनी ही ज़्यादा फुर्सत मिलती थी, नई चीजों ओर तरीकों के निकालने में वे उतनी ही ज़्यादा तरक़्की करते थे. "
इस पत्र नेहरू प्रारंभिक मानव के विकास और उनकी बढ़ती बुद्धिमानी पर चर्चा करते हैं, जिसने उन्हें जानवरों से अधिक मजबूत और चालाक बना दिया। शुरू में, इंसान के पास कोई विशेष हथियार नहीं थे, वे केवल पत्थर फेंकते थे। बाद में उन्होंने पत्थर के औजार जैसे कुल्हाड़ियाँ और भाले बनाए।
बर्फ का युग समाप्त होने के बाद, लोग गर्म होते मौसम में फैलने लगे। उस समय न तो मकान थे, न खेती। लोग फल खाते थे और जानवरों का शिकार करते थे। इन शुरुआती मनुष्यों को पेंटिंग करना भी आता था, और वे गुफाओं की दीवारों पर जानवरों की चित्रकारी करते थे। इस समय के लोग पाषाण युग के नाम से जाने जाते थे, क्योंकि वे सभी उपकरण पत्थरों से बनाते थे।
धीरे-धीरे, नया पत्थर युग (नवपाषाण युग) आया, जिसमें इंसान ने खेती करना सीखा, जिससे उन्हें भोजन के लिए शिकार करने की आवश्यकता कम हो गई। अब उनके पास सोचने और आराम करने का अधिक समय था, जिससे नई चीज़ों की खोज हुई। उन्होंने मिट्टी के बर्तन बनाए और खाना पकाने लगे।
इन लोगों ने जानवरों को पालना भी सीखा और कपड़े बुनने की कला भी विकसित की। वे अक्सर झीलों के बीच झोपड़ियाँ बनाते थे ताकि जंगली जानवरों और अन्य लोगों से सुरक्षित रह सकें।
नेहरू बताते हैं कि हमें इन प्राचीन लोगों के बारे में कैसे पता चला, क्योंकि उन्होंने कोई किताबें नहीं लिखी थीं। पुरातत्वविदों ने उनकी हड्डियों और उपकरणों को खोजकर यह जानकारी इकट्ठी की है।
आगे चलकर, ताँबे और काँसे के उपकरण बनने लगे और लोगों ने सोने के गहने भी पहनने शुरू किए। नेहरू भूमध्य सागर के बनने की कहानी भी बताते हैं, जिसे कई संस्कृत ग्रंथों और बाइबिल में "महान बाढ़" के रूप में उल्लेखित किया गया है, जहाँ अटलांटिक महासागर का पानी भूमध्य सागर में भर आया, जिससे एक बड़ी आपदा आई होगी।
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