इस पत्र में, नेहरू मानव जातियों और भाषाओं की उत्पत्ति और विकास पर चर्चा करते हैं। वह बताते हैं कि शुरुआती मानव शायद बर्फीले युग के दौरान गर्म इलाकों में रहते थे और खानाबदोश थे, जो भोजन और चारागाह की तलाश में घूमते रहते थे। धीरे-धीरे लोग नदियों के पास बसने लगे, जिससे भारत, मेसोपोटामिया, मिस्र और चीन जैसी जगहों पर सभ्यताओं का विकास हुआ।
भारत में सबसे पुरानी ज्ञात जाति द्रविड़ थी, जिसके बाद आर्य और पूरब में मंगोल जाति के लोग आए। दक्षिण भारत के लोग मुख्यतः द्रविड़ों के वंशज हैं, जो उत्तर भारत के लोगों की तुलना में गहरे रंग के हैं। नेहरू बताते हैं कि आर्य जाति मध्य एशिया से निकलकर यूरोप और एशिया में फैली और कई स्थानों में बसी। यद्यपि आज इन जातियों में काफी अंतर है, लेकिन वे सभी एक ही पूर्वजों—आर्यों—से संबंधित हैं। समय के साथ, विभिन्न जातियों और भाषाओं का मिश्रण हुआ।
नेहरू विभिन्न जातियों को आर्य, मंगोल (पूर्वी एशिया के लोग), और अफ्रीकी आदिवासियों में विभाजित करते हैं, और यहूदियों और अरबों को अलग जाति के रूप में देखते हैं। वे भाषाओं के माध्यम से जातियों की पहचान के महत्व पर जोर देते हैं। आर्यों की संस्कृत भाषा से लैटिन, ग्रीक, अंग्रेज़ी, हिंदी, बंगाली जैसी भाषाएँ निकलीं। इसी तरह, चीनी और शेमितिक भाषाओं के परिवारों की उत्पत्ति भी स्पष्ट की गई है। दक्षिण भारत की भाषाएँ—तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़—द्रविड़ परिवार से हैं और अत्यंत प्राचीन हैं।
इसी पत्र से: "उस ज़माने में पश्चिमी एशिया और पूर्वी यूरोप में एक नई जाति पैदा हो रही थी। यह आर्य कहलाती थी।संस्कृत में आर्य शब्द का अर्थ है शरीफ आदमी या उँचे कुल का आदमी। संस्कृत आर्यों की एक जबान थी इसलिए इससे मालूम होता है कि वे लोग अपने को बहुत शरीफ ओर खानदानी समझते थे। ऐसा मालूम होता है कि वे लोग भी आजकल के आदमियों की ही तरह शेखीबाज़ थे। तुम्हें मालूम है कि अँगरेज़ अपने को दुनिया में सब से बढ़कर समझता है, फ्रांसीसी का भी यही खयाल है कि मैं ही सबसे बड़ा हूँ, इसी तरह जर्मन, अमरीकन और दूसरी जातियाँ भी अपने ही बड़प्पन का राग अलापते हैं।"
अंग्रेजी में:
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