मंगलवार, 3 मई 2011

लगता नहीं है जी मेरा एबटाबाद में

बिन लादेन का आखिरी पड़ाव (CNN के सौजन्य से)
लगता नहीं है जी मेरा एबटाबाद में,
किसकी बनी है आलम-ए-नापायेदार में,
कह दो जेहादियों से अमरीकियों से ना डरें,
इतनी जगह कहाँ है जेल-ए-ग्वातेनामो में.

उम्र-ए-दराज़ मांग कर लाये थे चार दिन,
दो जेहाद-अफजाई में कट गए दो सर बचाने में.
कितना है बदनसीब "बिन लादेन" दफन के लिए,
दो गज ज़मीन भी ना मिली कू-ए-यार में.

(बहादुर शाह ज़फर से क्षमा याचना सहित)
Read the original couplets here 
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