बुधवार, 16 अक्तूबर 2024

पत्र ५ - "जानदार कब पैदा हुए" पिता के पत्र पुत्री के नाम पत्र

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इस पत्र में, जवाहरलाल नेहरू बताते हैं कि जानवरों का विकास और उनके वातावरण के अनुसार खुद को ढालने की प्रक्रिया कैसे हुई। वे समझाते हैं कि पृथ्वी पर सबसे पहले छोटे समुद्री जानवर और पौधे थे, जो केवल पानी में ही जीवित रह सकते थे। धीरे-धीरे, जिन जानवरों की खाल सख्त थी, वे सूखी जमीन पर कुछ समय के लिए जीवित रह पाते थे, जबकि नरम खाल वाले जानवर गायब होते गए। यह प्रक्रिया बताती है कि जानवर अपने आस-पास के वातावरण के अनुसार अपने आप को ढाल लेते हैं।

नेहरू उदाहरण देते हैं कि ठंडे क्षेत्रों में जानवर और पक्षी सफेद हो जाते हैं, जबकि गर्म क्षेत्रों में हरे या चमकीले रंग के होते हैं ताकि वे अपने दुश्मनों से बच सकें। इसी प्रकार, जानवर जैसे चीतों की धारियाँ उन्हें जंगल में छिपने में मदद करती हैं।

जब पृथ्वी ठंडी और सूखी होने लगी, तो जानवर भी बदलते गए। पहले समुद्री जानवर आए, फिर ऐसे जानवर जो जमीन और पानी दोनों में रह सकते थे, जैसे मगरमच्छ और मेंढक। फिर केवल जमीन पर रहने वाले जानवर और उड़ने वाले पक्षी विकसित हुए। नेहरू मेंढक का उदाहरण देकर बताते हैं कि कैसे मेंढक अपने जीवन में पानी से जमीन पर रहने वाले जानवर में बदलता है, जो यह दिखाता है कि जानवरों ने पानी से जमीन पर कैसे कदम रखा।

नेहरू बताते हैं कि पुराने जंगलों ने समय के साथ कोयले का रूप ले लिया, जो आज हमें खानों से मिलता है। शुरुआती जमीन पर रहने वाले जानवरों में विशालकाय साँप, छिपकलियाँ और घड़ियाल थे, जिनमें से कुछ 100 फीट लंबे होते थे। इसके बाद, स्तनधारी जानवरों का विकास हुआ, जो अपने बच्चों को दूध पिलाते थे।


आखिर में, नेहरू इस बात का उल्लेख करते हैं कि मनुष्य और बंदर का आपस में संबंध है, और यह संभावना है कि इंसान पहले एक उन्नत बंदर था। वे हमें याद दिलाते हैं कि भले ही आज मनुष्य खुद को जानवरों से अलग समझता है, लेकिन हम बंदरों और बनमानुसों के करीबी रिश्तेदार हैं, और कई बार हमारे व्यवहार में भी उनकी झलक दिखाई देती है।

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