रविवार, 3 नवंबर 2024

पत्र १२ | जातिओं का बनना (अंग्रेजी में ) | पिता के पत्र पुत्री के नाम

इस पत्र में नेहरू लिखते हैं कि आदिम मानव पहले जानवरों की तरह था। धीरे-धीरे उसने तरक्की की और समूह में रहने लगा, जिससे उसे सुरक्षा मिली। जानवर भी समूहों में रहते हैं, जैसे भेड़, बकरियाँ, और हाथी। आदिम मानव ने भी समूहों में रहना शुरू किया और सहयोग करना सीखा। समूह में काम करने से प्रत्येक सदस्य को जाति की भलाई का ध्यान रखना पड़ता था। यदि कोई सदस्य जाति के हित में नहीं काम करता था, तो उसे बाहर कर दिया जाता था।

समूह में व्यवस्थित ढंग से काम करने के लिए एक नेता की आवश्यकता थी। सबसे मजबूत व्यक्ति को नेता चुना जाता था, जो आंतरिक झगड़ों को नियंत्रित करता था। आदिम जातियाँ बड़े परिवारों की तरह थीं और जैसे-जैसे ये बढ़ी, जातियाँ भी बढ़ीं। प्रारंभिक जीवन कठिन था; न घर था, न कपड़े, और भोजन के लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ता था। वे प्राकृतिक आपदाओं को देवताओं का क्रोध मानते थे और बलि देकर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते थे, जिसे आज हम अज्ञानता मानते हैं।

इसी पत्र से: "इस तरह पुराने जमाने के आदमियों ने सम्यता में जो पहिली तरक़्की की वह मिलकर झुंडों में रहना था। इस तरह - जातियों (फिरकों) की बुनियाद पड़ी. वे साथ-साथ काम करने लगे. वे एक दूसरे की मदद करते रहते थे. हर एक आदमी पहिले अपनी जाति का खयाल करता था ओर तब अपना. अगर जाति पर कोई संकट आता तो हरएक आदमी जाति की तरफ से लड़ता था.  और अगर कोई आदमी जाति के लिए लड़ने से इनकार करता तो निकाल बाहर किया जाता था."

अंग्रेजी में :  


हिंदी में :  



Tags:
Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters
Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru 
Letters from a Father to his Daughter 
Nehru ke patra Indira ko
Nehru’s Letters to Indira
पाठ 12 जातिओं का बनना
Lesson 12 The Formation of Tribes

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