शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

पत्र 15 | ख़ानदान का सरग़ना कैसे बना | पिता के पत्र पुत्री के नाम

इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू अपनी बेटी इंदिरा को समझाते हैं कि समाज में सरगना की शुरुआत कैसे हुई। पहले के समय में, जब समाज सरल था, सब लोग बराबर थे और मिल-जुलकर काम करते थे। खेती और नई गतिविधियों के आने के बाद, किसी को काम बाँटने और संगठन करने की ज़रूरत पड़ी, और यह ज़िम्मेदारी सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को दी गई, जिसे सरगना या पितामह कहा गया।

शुरुआत में, सरगना भी बाकी लोगों की तरह काम करता था, लेकिन धीरे-धीरे उसने संगठन का काम करने के लिए शारीरिक श्रम करना छोड़ दिया और दूसरों से अलग हो गया। सरगना का काम सिर्फ संगठन करना और लोगों को काम का आदेश देना रह गया। समय के साथ, जब लड़ाइयाँ होने लगीं, सरगना का महत्व और भी बढ़ गया क्योंकि बिना नेता के लड़ाई संभव नहीं थी।

सरगना ने अपनी मदद के लिए और लोगों को भी संगठन करने के काम में लगाया, जिससे समाज दो हिस्सों में बंट गया—एक वो जो संगठन का काम करते थे और दूसरे वे जो सामान्य श्रम करते थे। इस तरह समाज में असमानता की शुरुआत हुई, और सरगना का दबदबा बढ़ता गया। अगले पत्र में नेहरू और विस्तार से इस प्रक्रिया को समझाएंगे।

अंग्रेजी में :  



हिंदी में :  


Tags 
Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters
Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru 
Letters from a Father to his Daughter 
Nehru ke patra Indira ko
Nehru’s Letters to Indira
पाठ 15   सारांश "ख़ानदान का सरग़ना कैसे बना  
Lesson 15  Summary  "The Patriarch - How He Began"

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