इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू खेती के आगमन से हुई तब्दीलियों के बारे में बताते हैं। वे समझाते हैं कि शुरुआती मानव समाजों में काम का बंटवारा बहुत कम था, सभी लोग शिकार करते थे और मुश्किल से खाने भर का इंतजाम कर पाते थे। धीरे-धीरे, मर्द और औरतों के बीच काम का बंटवारा हुआ, जहां मर्द शिकार करते थे और औरतें घर पर रहकर बच्चों और पालतू जानवरों की देखभाल करती थीं।
जब लोगों ने खेती करना सीखा, तो काम का बंटवारा और बढ़ गया। कुछ लोग खेती करने लगे, जबकि कुछ ने शिकार करना जारी रखा। इस बदलाव के साथ, लोगों ने एक जगह बसना शुरू कर दिया, क्योंकि खेती के लिए ज़मीन के पास रहना जरूरी हो गया। इस तरह गांव और कस्बों का विकास हुआ, क्योंकि खेती करने के बाद लोग एक जगह पर ही रहने लगे।
खेती से जीवन भी आसान हो गया, क्योंकि खेती से अधिक खाना मिल जाता था जिसे बाद में भी इस्तेमाल किया जा सकता था। नेहरू बताते हैं कि जब लोग केवल शिकार पर निर्भर थे, तो वे कुछ भी जमा नहीं कर सकते थे, लेकिन खेती के आने के बाद लोग फालतू अनाज जमा करने लगे। यही फालतू अनाज बाद में धन का आधार बना। आजकल के बैंक भी इसी तरह काम करते हैं, जहां लोग अपनी बचत जमा करते हैं।
नेहरू इस बात पर जोर देते हैं कि आज के समाज में भी धन का असमान बंटवारा है। कुछ लोग बिना मेहनत के भी अमीर बन जाते हैं, जबकि मेहनती लोग अक्सर गरीब रह जाते हैं। यह असमानता दुनिया में गरीबी का एक बड़ा कारण है। हालांकि, वे इंदिरा से कहते हैं कि यह समझना उनके लिए अभी मुश्किल हो सकता है, लेकिन वे आगे चलकर इसे बेहतर समझेंगी। इस पत्र का मुख्य संदेश यह है कि खेती से इंसानों को ज्यादा खाना मिला, जिसे वे जमा कर सकते थे, और इसी से अमीरी-गरीबी का भेद शुरू हुआ।
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