इस पत्र में, नेहरू भाषा, लिखावट, और गिनती के उद्गम और विकास पर चर्चा करते हैं। वे बताते हैं कि भाषा की शुरुआत शायद जानवरों की तरह, डर या चेतावनी देने वाली आवाज़ों से हुई होगी। प्रारंभ में, इंसानों ने साधारण आवाज़ें निकालीं, और बाद में श्रमिकों द्वारा काम करते समय समूह में निकाली गई आवाज़ें (मज़दूर बोलियाँ) भाषा का हिस्सा बनीं। धीरे-धीरे, अधिक शब्द जुड़ते गए, जैसे पानी, आग, घोड़ा, भालू, और फिर संपूर्ण वाक्य बनने लगे।
नेहरू यह भी बताते हैं कि प्रारंभिक सभ्यताओं में भाषा ने काफी प्रगति की थी, और गीत तथा कविताएँ लोकप्रिय थीं। उस समय लेखन कम प्रचलित था, इसलिए लोग ज़्यादातर बातें याद रखते थे। कवि और गायक वीरता के गीत गाते थे, जो उस समय की लड़ाई-झगड़े वाली जीवनशैली का प्रतीक थे।
लिखावट का आरंभ भी दिलचस्प था। नेहरू बताते हैं कि लिखने की शुरुआत तस्वीरों से हुई, जहाँ लोग किसी वस्तु का चित्र बनाते थे। धीरे-धीरे चित्र सरल होते गए और फिर वर्णमाला का विकास हुआ, जिससे लिखना आसान हो गया।
गिनती और अंक बहुत बड़ी खोज थी। बिना अंकों के व्यापार की कल्पना मुश्किल है। नेहरू बताते हैं कि यूरोप में पहले रोमन अंक प्रचलित थे, जो काफी कठिन थे। बाद में, "अरबी अंक" प्रचलित हुए, जो वास्तव में भारतीयों द्वारा विकसित किए गए थे।
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