सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

पत्र #११ | सभ्यता क्या है? | पिता के पत्र पुत्री के नाम

"सभ्यता क्या है?" में जवाहरलाल नेहरू सभ्यता के अर्थ पर विचार करते हैं और इसे बर्बरता  (जंगली अवस्था) के विपरीत बताते हैं। वह समझाते हैं कि सभ्यता का अर्थ है सुधार और अच्छी आदतें अपनाना, जबकि वर्बरिटी वह अवस्था है जब मनुष्य लगभग जानवरों जैसा होता है। वे सवाल उठाते हैं कि किस आधार पर किसी व्यक्ति या समाज को सभ्य कहा जा सकता है। यूरोप के लोग एशिया और अफ्रीका के लोगों को जंगली समझते हैं, लेकिन नेहरू बताते हैं कि कपड़े और ताकत जैसी चीजें सभ्यता का मापदंड नहीं हो सकतीं।

नेहरू प्रथम विश्व युद्ध का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि कैसे देशों ने लाखों लोगों की हत्या की और इसे सभ्यता नहीं कहा जा सकता। वे इसे जंगली व्यवहार की तरह मानते हैं और इस विचार को खारिज करते हैं कि युद्ध में शामिल देश जैसे इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस आदि सभ्य हैं, भले ही उनके पास बहुत सी अच्छी चीजें और लोग हों।

अंत में, नेहरू कहते हैं कि सभ्यता की असली पहचान सिर्फ भव्य इमारतों या कला में नहीं, बल्कि उन लोगों में है जो स्वार्थी नहीं हैं और सबकी भलाई के लिए मिलकर काम करते हैं। मिलजुल कर काम करना, खासकर सामूहिक भलाई के लिए, सभ्यता की सबसे बड़ी निशानी है।


इसी पत्र से :  "अब तुम कहोगी कि सभ्यता का मतलब समझना आसान नहीं है, ओर यह ठीक है। यह बहुत ही मुश्किल मामला है.  अच्छी-अच्छी इमारतें, अच्छी-अच्छी तसवीरें और किताबें और तरह-तरह की दूसरी और खूबसूरत चीज़ें ज़रूर सभ्यता की पहचान हैं, मगर एक भला आदमी जो स्वार्थी नहीं है और सब की भलाई के लिए दूसरों के साथ मिलकर काम करता है सभ्यता की इससे भी बड़ी पहचान है.  मिलकर काम करना अकेले काम करने से अच्छा है, और सब की भलाई के लिए एक साथ मिलकर काम करना सबसे अच्छी बात है ."

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Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru 
Letters from a Father to his Daughter 
Nehru ke patra Indira ko
Nehru’s Letters to Indira
पाठ 11 सभ्यता क्या है? 
Lesson 11 What is Civilization?

शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

पत्र #१० | ज़बानों का आपस में रिश्ता | पिता के पत्र पुत्री के नाम

 इस पत्र में, नेहरू बताते हैं कि आर्य विभिन्न देशों में फैल गए और उनकी एक भाषा समय के साथ बदलकर कई भाषाओं में विभाजित हो गई। अलग-अलग इलाकों और स्थितियों के कारण इन भाषाओं में अंतर आ गया, लेकिन फिर भी कुछ शब्द, जैसे "पिता" और "माता," विभिन्न भाषाओं में समान रहे। यह दर्शाता है कि ये भाषाएँ कभी एक ही परिवार से निकली होंगी।

नेहरू भाषा के अध्ययन को रोचक मानते हैं, क्योंकि इससे हमें अपने पूर्वजों और हमारी साझा विरासत का पता चलता है। वे यह भी बताते हैं कि समय के साथ लोग अपने पुराने संबंधों को भूल गए और हर देश के लोग खुद को सबसे श्रेष्ठ समझने लगे। नेहरू इस प्रकार की घमंड भरी सोच की आलोचना करते हैं और कहते हैं कि हर देश में अच्छाई और बुराई दोनों होती हैं। हमें जहाँ अच्छाई मिले उसे अपनाना चाहिए और जहाँ बुराई हो उसे दूर करना चाहिए।

नेहरू यह भी बताते हैं कि भारत की स्थिति खराब है और लोगों को दुखी होने से बचाने के लिए हमें उनके जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए। भारतीयों को अपने देश के लिए काम करना चाहिए, लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि हम एक बड़े वैश्विक परिवार का हिस्सा हैं। उनका मानना है कि हमें सारी दुनिया को एक खुशहाल और शांतिपूर्ण स्थान बनाने का प्रयास करना चाहिए।

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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

पत्र ९: "आदमियों की क़ौमें और भाषाएँ" पिता के पत्र पुत्री के नाम

इस पत्र में, नेहरू मानव जातियों और भाषाओं की उत्पत्ति और विकास पर चर्चा करते हैं। वह बताते हैं कि शुरुआती मानव शायद बर्फीले युग के दौरान गर्म इलाकों में रहते थे और खानाबदोश थे, जो भोजन और चारागाह की तलाश में घूमते रहते थे। धीरे-धीरे लोग नदियों के पास बसने लगे, जिससे भारत, मेसोपोटामिया, मिस्र और चीन जैसी जगहों पर सभ्यताओं का विकास हुआ।

भारत में सबसे पुरानी ज्ञात जाति द्रविड़ थी, जिसके बाद आर्य और पूरब में मंगोल जाति के लोग आए। दक्षिण भारत के लोग मुख्यतः द्रविड़ों के वंशज हैं, जो उत्तर भारत के लोगों की तुलना में गहरे रंग के हैं। नेहरू बताते हैं कि आर्य जाति मध्य एशिया से निकलकर यूरोप और एशिया में फैली और कई स्थानों में बसी। यद्यपि आज इन जातियों में काफी अंतर है, लेकिन वे सभी एक ही पूर्वजों—आर्यों—से संबंधित हैं। समय के साथ, विभिन्न जातियों और भाषाओं का मिश्रण हुआ।

नेहरू विभिन्न जातियों को आर्य, मंगोल (पूर्वी एशिया के लोग), और अफ्रीकी आदिवासियों में विभाजित करते हैं, और यहूदियों और अरबों को अलग जाति के रूप में देखते हैं। वे भाषाओं के माध्यम से जातियों की पहचान के महत्व पर जोर देते हैं। आर्यों की संस्कृत भाषा से लैटिन, ग्रीक, अंग्रेज़ी, हिंदी, बंगाली जैसी भाषाएँ निकलीं। इसी तरह, चीनी और शेमितिक भाषाओं के परिवारों की उत्पत्ति भी स्पष्ट की गई है। दक्षिण भारत की भाषाएँ—तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़—द्रविड़ परिवार से हैं और अत्यंत प्राचीन हैं।

इसी पत्र से: "उस ज़माने में पश्चिमी एशिया और पूर्वी यूरोप में एक नई जाति पैदा हो रही थी। यह आर्य कहलाती थी।संस्कृत में आर्य शब्द का अर्थ है शरीफ आदमी या उँचे कुल का आदमी। संस्कृत आर्यों की एक जबान थी इसलिए इससे मालूम होता है कि वे लोग अपने को बहुत शरीफ ओर खानदानी समझते थे। ऐसा मालूम होता है कि वे लोग भी आजकल के आदमियों की ही तरह शेखीबाज़ थे। तुम्हें मालूम है कि अँगरेज़ अपने को दुनिया में सब से बढ़कर समझता है, फ्रांसीसी का भी यही खयाल है कि मैं ही सबसे बड़ा हूँ, इसी तरह जर्मन, अमरीकन और दूसरी जातियाँ भी अपने ही बड़प्पन का राग अलापते हैं।"

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बुधवार, 23 अक्टूबर 2024

पत्र ८: "तरह-तरह की कौमें क्योंकर बनीं" पिता के पत्र पुत्री के नाम

 इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू यह समझाते हैं कि कैसे विभिन्न मानव जातियाँ (कौमें) बनीं और उनकी शारीरिक विशेषताएँ, विशेष रूप से त्वचा का रंग, कैसे समय के साथ वातावरण के कारण बदलीं। वे नए पत्थर युग के लोगों का उल्लेख करते हैं, जिनसे आज की कई मानव जातियाँ निकलीं हो सकती हैं। नेहरू बताते हैं कि आज दुनिया में गोरे, काले, पीले, भूरे सभी प्रकार के लोग हैं, लेकिन इन रंगों के आधार पर जातियों को अलग-अलग करना आसान नहीं है, क्योंकि मानव जातियाँ आपस में मिश्रित हो चुकी हैं।

नेहरू बताते हैं कि इन विभिन्नताओं के पीछे मुख्य कारण जलवायु और आसपास के माहौल के अनुसार अनुकूलन है। वे उदाहरण देते हैं कि उत्तर में ठंडे इलाकों में रहने वाले लोग गोरे होते हैं, जबकि विषुवत रेखा के पास गर्म इलाकों में रहने वाले लोग काले होते हैं। वे इस बात का ज़िक्र करते हैं कि जैसे धूप में रहने से त्वचा सांवली हो जाती है, वैसे ही जो लोग सदियों तक गर्म इलाकों में रहते हैं, उनकी त्वचा काली हो जाती है।

नेहरू इस बात पर ज़ोर देते हैं कि त्वचा का रंग सिर्फ़ जलवायु के कारण होता है और इसका किसी व्यक्ति की अच्छाई या काबिलियत से कोई लेना-देना नहीं है। कश्मीरियों का उदाहरण देते हुए, वे बताते हैं कि ठंडे इलाकों में रहने वाले लोग गोरे होते हैं, लेकिन अगर वे गर्म इलाकों में कई पीढ़ियों तक रहें, तो उनका रंग भी गहरा हो जाता है। अंत में, नेहरू यह बताते हैं कि भारत में उत्तर के लोग गोरे होते हैं और दक्षिण की ओर जाते-जाते लोग काले होते जाते हैं, जो मुख्य रूप से जलवायु का असर है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि भारत में कई अलग-अलग जातियाँ आईं और समय के साथ वे आपस में मिल गईं, जिससे यह बताना मुश्किल है कि कोई व्यक्ति किस मूल जाति से संबंधित है।

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सोमवार, 21 अक्टूबर 2024

पत्र ७: "शुरू के आदमी" पिता के पत्र पुत्री के नाम

 "इन्हीं नए पाषाण-युग केआदमियों ने एक बहुत बड़ी चीज़ निकाली.  यह खेती करने का तरीका था। उन्होंने खेतों को जोतकर खाने की चीजें पेदा करनी शुरू कीं. उनके लिए यह बहुत बड़ी बात थी. अब उन्हें आसानी से खाना मिल जाता था, इसकी जरूरत न थी कि वे रात दिन जानवरों का शिकार करते रहें।अब उन्हें सोचने ओर आराम करने की ज़्यादा फुर्सत मिलने लगी. ओर उन्हें जितनी ही ज़्यादा फुर्सत मिलती थी, नई चीजों ओर तरीकों के निकालने में वे उतनी ही ज़्यादा तरक़्की करते थे. "

इस पत्र नेहरू प्रारंभिक मानव के विकास और उनकी बढ़ती बुद्धिमानी पर चर्चा करते हैं, जिसने उन्हें जानवरों से अधिक मजबूत और चालाक बना दिया। शुरू में, इंसान के पास कोई विशेष हथियार नहीं थे, वे केवल पत्थर फेंकते थे। बाद में उन्होंने पत्थर के औजार जैसे कुल्हाड़ियाँ और भाले बनाए।

बर्फ का युग समाप्त होने के बाद, लोग गर्म होते मौसम में फैलने लगे। उस समय न तो मकान थे, न खेती। लोग फल खाते थे और जानवरों का शिकार करते थे। इन शुरुआती मनुष्यों को पेंटिंग करना भी आता था, और वे गुफाओं की दीवारों पर जानवरों की चित्रकारी करते थे। इस समय के लोग पाषाण युग के नाम से जाने जाते थे, क्योंकि वे सभी उपकरण पत्थरों से बनाते थे।

धीरे-धीरे, नया पत्थर युग (नवपाषाण युग) आया, जिसमें इंसान ने खेती करना सीखा, जिससे उन्हें भोजन के लिए शिकार करने की आवश्यकता कम हो गई। अब उनके पास सोचने और आराम करने का अधिक समय था, जिससे नई चीज़ों की खोज हुई। उन्होंने मिट्टी के बर्तन बनाए और खाना पकाने लगे।

इन लोगों ने जानवरों को पालना भी सीखा और कपड़े बुनने की कला भी विकसित की। वे अक्सर झीलों के बीच झोपड़ियाँ बनाते थे ताकि जंगली जानवरों और अन्य लोगों से सुरक्षित रह सकें।

नेहरू बताते हैं कि हमें इन प्राचीन लोगों के बारे में कैसे पता चला, क्योंकि उन्होंने कोई किताबें नहीं लिखी थीं। पुरातत्वविदों ने उनकी हड्डियों और उपकरणों को खोजकर यह जानकारी इकट्ठी की है।

आगे चलकर, ताँबे और काँसे के उपकरण बनने लगे और लोगों ने सोने के गहने भी पहनने शुरू किए। नेहरू भूमध्य सागर के बनने की कहानी भी बताते हैं, जिसे कई संस्कृत ग्रंथों और बाइबिल में "महान बाढ़" के रूप में उल्लेखित किया गया है, जहाँ अटलांटिक महासागर का पानी भूमध्य सागर में भर आया, जिससे एक बड़ी आपदा आई होगी।

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पत्र ६ "आदमी कब पैदा हुआ" पिता के पत्र पुत्री के नाम

इस पत्र में नेहरू जीवों के क्रमिक विकास की प्रक्रिया का वर्णन करते हैं, यह बताते हुए कि कैसे जानदार प्राणी लाखों सालों तक अपने वातावरण के अनुसार ढलते रहे और नए गुण विकसित करते गए। शुरुआत में, जानवरों के पास हड्डियाँ नहीं थीं, लेकिन जीवित रहने के लिए उन्होंने रीढ़ की हड्डी विकसित की। इसी तरह, मछलियाँ हजारों अंडे देती हैं, पर उनकी देखभाल नहीं करतीं, जबकि ऊँचे स्तर के जानवरों ने कम बच्चे पैदा करने के साथ-साथ उनकी बेहतर देखभाल की।

नेहरू इस बारे में बात करते हैं कि स्तनधारी जानवर अंडे नहीं देते, बल्कि पूरी तरह से विकसित बच्चे पैदा करते हैं, जिन्हें मां अपना दूध पिलाती है। जितने ऊँचे दर्जे के जानवर होते हैं, उतनी ही अधिक उनकी संतान के प्रति ममता होती है। आदमी को सबसे ऊँचा जानवर माना जाता है क्योंकि माता-पिता अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं और उनकी देखभाल करते हैं।

नेहरू ने आगे बताया कि प्रारंभिक इंसान बंदरों से मिलते-जुलते थे और कठोर परिस्थितियों में जीते थे, जैसे हिमयुग के दौरान। उन्होंने हाइडल्बर्ग के प्रारंभिक मनुष्यों का उल्लेख किया, जिनकी खोपड़ी वैज्ञानिकों ने पाई थी। उस समय की कठिनाइयों को देखते हुए, मनुष्यों को बड़े जानवरों से हमेशा खतरा रहता था।

हालाँकि, धीरे-धीरे मनुष्य ने अपनी बौद्धिक शक्ति और आग की खोज जैसी उपलब्धियों से खुद को मजबूत बनाया। आग ने मनुष्य को ठंड से बचाया और जानवरों से सुरक्षा दी। नेहरू इस बात पर जोर देते हैं कि बुद्धिमता ने मनुष्यों को जानवरों से अलग किया और उन्हें दुनिया पर प्रभुत्व जमाने का मार्ग प्रशस्त किया।

अंग्रेजी मैं :  


हिंदी  में:



बुधवार, 16 अक्टूबर 2024

पत्र ५ - "जानदार कब पैदा हुए" पिता के पत्र पुत्री के नाम पत्र

अंग्रेजी में :   

हिंदी में :



इस पत्र में, जवाहरलाल नेहरू बताते हैं कि जानवरों का विकास और उनके वातावरण के अनुसार खुद को ढालने की प्रक्रिया कैसे हुई। वे समझाते हैं कि पृथ्वी पर सबसे पहले छोटे समुद्री जानवर और पौधे थे, जो केवल पानी में ही जीवित रह सकते थे। धीरे-धीरे, जिन जानवरों की खाल सख्त थी, वे सूखी जमीन पर कुछ समय के लिए जीवित रह पाते थे, जबकि नरम खाल वाले जानवर गायब होते गए। यह प्रक्रिया बताती है कि जानवर अपने आस-पास के वातावरण के अनुसार अपने आप को ढाल लेते हैं।

नेहरू उदाहरण देते हैं कि ठंडे क्षेत्रों में जानवर और पक्षी सफेद हो जाते हैं, जबकि गर्म क्षेत्रों में हरे या चमकीले रंग के होते हैं ताकि वे अपने दुश्मनों से बच सकें। इसी प्रकार, जानवर जैसे चीतों की धारियाँ उन्हें जंगल में छिपने में मदद करती हैं।

जब पृथ्वी ठंडी और सूखी होने लगी, तो जानवर भी बदलते गए। पहले समुद्री जानवर आए, फिर ऐसे जानवर जो जमीन और पानी दोनों में रह सकते थे, जैसे मगरमच्छ और मेंढक। फिर केवल जमीन पर रहने वाले जानवर और उड़ने वाले पक्षी विकसित हुए। नेहरू मेंढक का उदाहरण देकर बताते हैं कि कैसे मेंढक अपने जीवन में पानी से जमीन पर रहने वाले जानवर में बदलता है, जो यह दिखाता है कि जानवरों ने पानी से जमीन पर कैसे कदम रखा।

नेहरू बताते हैं कि पुराने जंगलों ने समय के साथ कोयले का रूप ले लिया, जो आज हमें खानों से मिलता है। शुरुआती जमीन पर रहने वाले जानवरों में विशालकाय साँप, छिपकलियाँ और घड़ियाल थे, जिनमें से कुछ 100 फीट लंबे होते थे। इसके बाद, स्तनधारी जानवरों का विकास हुआ, जो अपने बच्चों को दूध पिलाते थे।


आखिर में, नेहरू इस बात का उल्लेख करते हैं कि मनुष्य और बंदर का आपस में संबंध है, और यह संभावना है कि इंसान पहले एक उन्नत बंदर था। वे हमें याद दिलाते हैं कि भले ही आज मनुष्य खुद को जानवरों से अलग समझता है, लेकिन हम बंदरों और बनमानुसों के करीबी रिश्तेदार हैं, और कई बार हमारे व्यवहार में भी उनकी झलक दिखाई देती है।

रविवार, 13 अक्टूबर 2024

पत्र ४ - "जानदार चीज़ें केसे पैदा हुई" पिता के पत्र पुत्री के नाम पत्र

 

अंग्रेजी में :  

हिंदी वीडियो : 


यह पत्र जानदार चीज़ों के उत्पत्ति के बारे में है। इसमें नेहरू ने बताया है कि पहले ज़मीन इतनी गर्म थी कि कोई भी जानदार चीज़ वहाँ रह नहीं सकती थी। फिर धीरे-धीरे जानदार चीज़ों का आना शुरू हुआ।

नेहरू ने जानदार और बेजान चीज़ों के बीच फर्क समझाने की कोशिश की है, जिसमें पौधे और जानवर दोनों शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पुराने समय में समुद्र में पहले नरम, मुरब्बे की जैसी चीज़ें थीं जिनमें न हड्डी थी न खोल। ये चीज़ें धीरे-धीरे विकसित हुईं और उनके बाद विभिन्न प्रकार के जानवर और पौधे उत्पन्न हुए।

पत्र में यह भी बताया गया है कि पुरानी चट्टानों में जानवरों की हड्डियाँ मिलती हैं, जो यह साबित करती हैं कि विभिन्न जानवरों के उत्पत्ति का एक क्रम था। सबसे पहले साधारण जानवर जैसे घोंघे पैदा हुए, फिर धीरे-धीरे ऊँचे दर्जे के जानवर, जैसे हाथी और साँप, उत्पन्न हुए।


अंत में, नेहरू ने यह भी उल्लेख किया कि समुद्र की चट्टानों और हड्डियों से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि ज़मीन पर जानदार चीज़ें कैसे विकसित हुईं और आगे की चिट्ठी में वे इस पर और विस्तार से विचार करेंगे।

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024

पिता के पत्र पुत्री के नाम | पत्र १ , २ , ३

मुंशी प्रेमचंद द्वारा हिंदी में अनुवादित पत्रों को रिकॉर्ड करने के बाद मैंने इन्हें जवाहरलाल नेहरू की लिखी अंग्रेजी में रिकॉर्ड करना शुरू किया है ! ये हैं पहले तीन पत्र:  












शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024

पिता के पत्र पुत्री के नाम | सम्पूर्ण हिंदी ऑडियोबुक | जवाहरलाल नेहरू | मुंशी प्रेमचंद


“पिता के पत्र पुत्री के नाम, 1929” लेखक - जवाहरलाल नेहरू; हिंदी अनुवाद - मुंशी प्रेमचंद; स्वर - गिरिबाला जोशी

ये पत्र जवाहरलाल नेहरू ने जेल से अपनी बेटी इंदिरा प्रियदर्शिनी (बाद में गांधी) को लिखे थे. इन पत्रों में आप सुन सकते हैं इस दुनिया के और अपने देश भारत के प्रागैतिहासिक काल यानि prehistoric era और आरम्भिक इतिहास की कहानी. इनमें कही बातें, छोटे-बड़े सभी लोगों का ज्ञानवर्धन करती हैं और वैश्विक एकत्व और बंधुत्व की भावना को बढ़ावा देती हैं. ये ऑडीयो-बुक पिछले कई वीडियोस की ऑडियो को जोड़कर बनाई गयी है. यदि आप विज़ुअल्स- चित्र, वीडियोस, इत्यादि - देखना चाहते हैं तो प्लेलिस्ट में सम्मिलित वीडियोस को देखें।! आपको ये ऑडीयो-बुक इस चैनल पर नेहरूजी की ओरिजिनल अंग्रेजी में भी मिल जाएगी जो कि AI generated आवाज में हैं. मेरी अपनी आवाज में इन पत्रों को अंग्रेजी में रिकॉर्ड करने का प्रयास जारी है . विषय-सूची प्रस्तावना 0:35 १. संसार पुस्तक है 2:03 २. शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया 8:01 ३. ज़मीन कैसे बनी 13:55 ४. जानदार चीज़ें कैसे पैदा हुई 19:15 ५. जानवर कब पैदा हुए 26:56 ६. आदमी कब पैदा हुआ 32:11 ७. शुरू के आदमी 38:54 ८. तरह-तरह की कौमें क्योंकर बनीं 47:25 ९. आदमियों की कौमें और ज़बानें 53:50 १०. ज़बानों का आपस में रिश्ता 59:59 ११. सभ्यता क्‍या है? 1:04:59 १२. जातियों का बनना 1:08:38 १३. मजहब की शुरुआत और काम का बंटवारा 1:13:07 १४. खेती से पैदा हुई तब्दीलियाँ 1:17:59 १५. खानदान का सरगना कैसे बना 1:21:52 १६. सरगना का इख्तियार कैसे बढ़ा 1:25:35 १७. सरगना राजा हो गया 1:29:06 १८. शुरू का रहन-सहन 1:33:29 १९. पुरानी दुनिया के बड़े बड़े शहर 1:38:02 २०. मिस्र और क्रीट 1:42:02 २१. चीन और हिंदुस्तान 1:47:24 २२. समुद्री सफर और व्यापार 1:51:31 २३. भाषा, लिखावट और गिनती 1:58:09 २४. आदमियों के अलग-अलग दरजे. 2:02:42 २५. राजा, मंदिर और पुजारी 2:06:47 २६. पीछे की तरफ एक नज़र 2:12:20 २७. पत्थर हो जानेवाली मछलियों की तसवीरें 2:15:11 २८. फॉसिल और पुराने खंडहर 2:16:45 २९. आर्यों का हिन्दुस्तान में आना 2:19:48 ३०. हिंदुस्तान के आर्य कैसे थे 2:23:45 ३१. रामायण और महाभारत 2:28:45

मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 29 पत्र 31 | रामायण और महाभारत | The Ramayana and the Mahabharata

 


इस पत्र में नेहरू ने रामायण और महाभारत की महत्ता पर चर्चा की है। वे बताते हैं कि वेदों के युग के बाद काव्यों का युग आया, जिसमें दो प्रमुख महाकाव्य—रामायण और महाभारत—लिखे गए। नेहरू ने बताया कि इस युग में आर्य लोग उत्तर भारत से विंध्य पर्वत तक फैल गए थे, और इस क्षेत्र को "आर्यावर्त" कहा जाता था, जो चाँद के आकार की तरह दिखता था। रामायण की कथा राम और सीता के साथ लंका के राजा रावण की लड़ाई की है, जिसे वाल्मीकि ने संस्कृत में लिखा, और तुलसीदास ने हिंदी में "रामचरितमानस" के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने यह भी कहा कि रामायण में हो सकता है कि दक्षिण भारत के लोगों और आर्यों की लड़ाई का चित्रण हो। महाभारत, जो रामायण के काफी बाद लिखा गया, एक विशाल ग्रंथ है और इसमें आर्यों के आपसी संघर्ष की कथा है। लेकिन इसके अतिरिक्त, इसमें गहरी विचारधारा और सुंदर कहानियाँ हैं, जिनमें भगवद गीता एक अनमोल रत्न है। नेहरू ने यह भी बताया कि ये ग्रंथ हजारों साल पुरानी होने के बावजूद आज भी जीवित हैं और लोगों पर प्रभाव डालते हैं। Tags Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru Letters from a Father to his Daughter Nehru ke patra Indira ko Nehru’s Letters to Indira पाठ 31 रामायण और महाभारत अध्याय ३१ रामायण और महाभारत Lesson 31 The Ramayana and the Mahabharata

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