“पिता के पत्र पुत्री के नाम” में प्रकाशित पत्र जवाहरलाल नेहरू ने जेल से अपनी बेटी इंदिरा को लिखे थे. हिन्दी के अग्रणी साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने इनका हिंदी अनुवाद किया था.
इन पत्रों में आप सुनेंगे इस दुनिया के और अपने देश भारत के प्रागैतिहासिक काल यानि prehistoric era और आरम्भिक इतिहास की कहानी. इनमें कही बातें, छोटे-बड़े सभी लोगों का ज्ञानवर्धन करती हैं और वैश्विक एकत्व और बंधुत्व की भावना को बढ़ावा देती हैं.
नेहरूजी उम्मीद करते हैं कि "जो लोग इन पत्रों को पढ़ेंगे, वे धीरे-धीरे हमारी इस दुनिया को अनेक देशों का एक बड़ा परिवार समझना शुरू कर देंगे।" आज के इस पत्र का शीर्षक है: “संसार पुस्तक है”
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