गुरुवार, 29 अगस्त 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 14 | खेती से पैदा हुई तब्दीलियां | The Changes brought about by Agriculture

 


सारांश :  इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू खेती के आगमन से हुई तब्दीलियों के बारे में बताते हैं। वे समझाते हैं कि शुरुआती मानव समाजों में काम का बंटवारा बहुत कम था, सभी लोग शिकार करते थे और मुश्किल से खाने भर का इंतजाम कर पाते थे। धीरे-धीरे, मर्द और औरतों के बीच काम का बंटवारा हुआ, जहां मर्द शिकार करते थे और औरतें घर पर रहकर बच्चों और पालतू जानवरों की देखभाल करती थीं।

जब लोगों ने खेती करना सीखा, तो काम का बंटवारा और बढ़ गया। कुछ लोग खेती करने लगे, जबकि कुछ ने शिकार करना जारी रखा। इस बदलाव के साथ, लोगों ने एक जगह बसना शुरू कर दिया, क्योंकि खेती के लिए ज़मीन के पास रहना जरूरी हो गया। इस तरह गांव और कस्बों का विकास हुआ, क्योंकि खेती करने के बाद लोग एक जगह पर ही रहने लगे।

खेती से जीवन भी आसान हो गया, क्योंकि खेती से अधिक खाना मिल जाता था जिसे बाद में भी इस्तेमाल किया जा सकता था। नेहरू बताते हैं कि जब लोग केवल शिकार पर निर्भर थे, तो वे कुछ भी जमा नहीं कर सकते थे, लेकिन खेती के आने के बाद लोग फालतू अनाज जमा करने लगे। यही फालतू अनाज बाद में धन का आधार बना। आजकल के बैंक भी इसी तरह काम करते हैं, जहां लोग अपनी बचत जमा करते हैं।

नेहरू इस बात पर जोर देते हैं कि आज के समाज में भी धन का असमान बंटवारा है। कुछ लोग बिना मेहनत के भी अमीर बन जाते हैं, जबकि मेहनती लोग अक्सर गरीब रह जाते हैं। यह असमानता दुनिया में गरीबी का एक बड़ा कारण है। हालांकि, वे इंदिरा से कहते हैं कि यह समझना उनके लिए अभी मुश्किल हो सकता है, लेकिन वे आगे चलकर इसे बेहतर समझेंगी। इस पत्र का मुख्य संदेश यह है कि खेती से इंसानों को ज्यादा खाना मिला, जिसे वे जमा कर सकते थे, और इसी से अमीरी-गरीबी का भेद शुरू हुआ।


Tags 

Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters

Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru 

Letters from a Father to his Daughter 

Nehru ke patra Indira ko

Nehru’s Letters to Indira

पाठ 14  खेती से पैदा हुई तब्दीलियां

Lesson 14  The Changes brought about by Agriculture

पिता के पत्र | एपिसोड 13 | मज़हब की शुरुआत और काम का बँटवारा

 


इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू अपनी बेटी को समझाते हैं कि मजहब (धर्म) और काम के बंटवारे की शुरुआत कैसे हुई।

नेहरू बताते हैं कि पुराने ज़माने में लोग हर चीज़ से डरते थे और सोचते थे कि उनके दुर्भाग्य का कारण क्रोधी और ईर्ष्यालु देवता हैं। उन्हें ये काल्पनिक देवता प्रकृति—जंगल, पहाड़, नदी, बादल—हर जगह दिखाई देते थे। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए वे भोजन और बलिदान देते थे, यहाँ तक कि कभी-कभी इंसानों और बच्चों की भी बलि चढ़ा देते थे। यही भय से उत्पन्न विचार धर्म की शुरुआत का कारण बना। नेहरू कहते हैं कि कोई भी काम जो डर के कारण किया जाए, वह गलत है, और आज भी लोग धर्म के नाम पर आपस में लड़ते हैं।

इसके बाद नेहरू बताते हैं कि शुरुआती मनुष्य को हर दिन भोजन जुटाने की चुनौती होती थी। कोई भी आलसी व्यक्ति उस समय जीवित नहीं रह सकता था। जब जनजातियों का गठन हुआ, तो लोग मिलकर काम करने लगे, जिससे भोजन जुटाना आसान हो गया। सहयोग से वे बड़े-बड़े काम कर सकते थे, जो अकेले संभव नहीं थे। एक और बड़ा बदलाव कृषि के आगमन से आया। नेहरू ने चीटियों का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे वे अपने खाने के लिए घास हटाकर एक पौधे की रक्षा करती हैं, जो खेती की शुरुआत का संकेत हो सकता है।

कृषि के साथ भोजन प्राप्त करना आसान हो गया, और लोगों की ज़िंदगी पहले से कम कठिन हो गई। इसके साथ ही काम का बंटवारा भी शुरू हुआ। पहले सभी पुरुष शिकार करते थे, लेकिन कृषि के आने के बाद अलग-अलग प्रकार के काम उत्पन्न हुए—खेतों में काम करना, शिकार, और पशुओं की देखभाल करना। कुछ लोग एक काम करने लगे, जबकि कुछ अन्य काम।

नेहरू अंत में कहते हैं कि आज भी हर व्यक्ति किसी एक खास पेशे में विशेषज्ञ होता है—कोई डॉक्टर होता है, कोई इंजीनियर, बढ़ई, या दरज़ी। हर व्यक्ति अपने काम में कुशल होता है और यही काम का बंटवारा है, जिसकी शुरुआत कृषि के दौर में पुरानी जातियों के साथ हुई थी।

बुधवार, 28 अगस्त 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 12 | जातिओं का बनना | The Formation of Tribes

 


इसी पत्र से: "इस तरह पुराने जमाने के आदमियों ने सम्यता में जो पहिली तरक़्की की वह मिलकर झुंडों में रहना था। इस तरह - जातियों (फिरकों) की बुनियाद पड़ी. वे साथ-साथ काम करने लगे. वे एक दूसरे की मदद करते रहते थे. हर एक आदमी पहिले अपनी जाति का खयाल करता था ओर तब अपना. अगर जाति पर कोई संकट आता तो हरएक आदमी जाति की तरफ से लड़ता था.  और अगर कोई आदमी जाति के लिए लड़ने से इनकार करता तो निकाल बाहर किया जाता था."

मंगलवार, 27 अगस्त 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 11 | सभ्यता क्या है? | What is Civilization?

 


इसी पत्र से :  "अब तुम कहोगी कि सभ्यता का मतलब समझना आसान नहीं है, ओर यह ठीक है। यह बहुत ही मुश्किल मामला है.  अच्छी-अच्छी इमारतें, अच्छी-अच्छी तसवीरें और किताबें और तरह-तरह की दूसरी और खूबसूरत चीज़ें ज़रूर सभ्यता की पहचान हैं, मगर एक भला आदमी जो स्वार्थी नहीं है और सब की भलाई के लिए दूसरों के साथ मिलकर काम करता है सभ्यता की इससे भी बड़ी पहचान है.  मिलकर काम करना अकेले काम करने से अच्छा है, और सब की भलाई के लिए एक साथ मिलकर काम करना सबसे अच्छी बात है ."

पिता के पत्र | एपिसोड 10 | ज़बानों का आपस में रिश्ता | The Relationships of Languages

 

इसी पत्र से:  "तुमने यह भी देखा कि बहुत से आदमी जो अब दूर-दूर मुल्कों में एक दूसरे से अलग रहते हैं किसी ज़माने में एक ही क़ौम के थे। तब से हम में बहुत फर्क हो गया है और हम अपने पुराने रिश्ते भूल गए हैं। हर एक मुल्क के आदमी खयाल करते हैं कि हमीं सबसे अच्छे और अक़लमन्द हैं और दूसरी जातें हमसे घटिया हैं।अँगरेज़ ये ख्याल करता है कि वह और उसका मुल्क सबसे अच्छा है; फ्रांसीसी को अपने मुल्क और सभी फ्रांसीसी चीजों पर घमंड है; जर्मन और इटालियन अपने मुल्कों को सबसे ऊँचा समभते हैं।और बहुत से हिन्दुस्तानियों का खयाल है कि हिन्दुस्तान बहुत सी बातों में सारी दुनिया से बढ़ा हुआ है। 


"यह सब डींग है। हर एक आदमी अपने को और अपने मुल्क को अच्छा समझता है लेकिन दरअसल कोई ऐसा आदमी नहीं है जिसमें कुछ ऐब और कुछ हुनर न हों। इसी तरह कोई ऐसा मुल्क नहीं है जिसमें कुछ बातें अच्छी और कुछ बुरी न हों। हमें जहाँ कहीं अच्छी बात मिले उसे ले लेना चाहिए ओर बुराई जहाँ कहीं हो उसे दूर कर देना चाहिए| हमको तो अपने मुल्क हिन्दुस्तान की ही सब से ज़्यादा फिक्र है। हमारे दुर्भाग्य से इसका जमाना आजकल बहुत खराब है और बहुत से आदमी ग़रीब और दुखी हैं। उन्हें अपनी ज़िन्दगी में कोई खुशी नहीं है। हमें इसका पता लगाना है कि हम उन्हें कैसे ज़्यादा सुखी बना सकते हैं। 


"हमें यह देखना है कि हमारे रस्म रिवाज में क्या खूबियाँ है और उनको बचाने की कोशिश करना हे, जो बुराइयां हैं उन्हें दूर करना है। हम हिन्दुस्तानी हैं और हमें हिन्दुस्तान में रहना और उसी की भलाई के लिए काम करना है। लेकिन हमें यह न भूलना चाहिए कि दुनिया के और हिस्सों के रहने वाले हमारे रिश्तेदार ओर कुटुम्बी हैं। क्या ही अच्छी बात होती अगर दुनिया के सभी आदमी खुश और सुखी होते। हमें कोशिश करनी चाहिए कि सारी दुनिया ऐसी हो जाय जहाँ लोग चैन से रह सकें. "

सोमवार, 26 अगस्त 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 9 | आदमियों की क़ौमें और भाषाएँ | The Races and Languages of Mankind


 इसी पत्र से: "उस ज़माने में पश्चिमी एशिया और पूर्वी यूरोप में एक नई जाति पैदा हो रही थी। यह आर्य कहलाती थी।संस्कृत में आर्य शब्द का अर्थ है शरीफ आदमी या उँचे कुल का आदमी। संस्कृत आर्यों की एक जबान थी इसलिए इससे मालूम होता है कि वे लोग अपने को बहुत शरीफ ओर खानदानी समझते थे। ऐसा मालूम होता है कि वे लोग भी आजकल के आदमियों की ही तरह शेखीबाज़ थे। तुम्हें मालूम है कि अँगरेज़ अपने को दुनिया में सब से बढ़कर समझता है, फ्रांसीसी का भी यही खयाल है कि मैं ही सबसे बड़ा हूँ, इसी तरह जर्मन, अमरीकन और दूसरी जातियाँ भी अपने ही बड़प्पन का राग अलापते हैं।"


पिता के पत्र | एपिसोड 8 | तरह तरह की कौमें क्योंकर बनीं | How Different Races Were Formed


 इसी पत्र से : "रंग से आदमी की लियाकत, भलमनसी या खूबसूरती पर कोई असर नहीं पड़ता"

"लेकिन अपने हाथों से काम न करना और दूसरों की कमाई खाना ऐसी बात नहीं जिस पर हम गुरूर कर सकें।"
"पुराने जमाने में हिन्दुस्तान में बहुत सी कौमें आई और हालाँकि बहुत दिनों तक उन्होंने अलग रहने की कोशिश की लेकिन वे आखिर में बिना मिले न रह सकीं| आज किसी हिन्दुस्तानी के बारे में यह कहना मुश्किल है कि वह पूरी तरह से किसी एक असली कौम का है।"

रविवार, 25 अगस्त 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 7 | शुरू के आदमी | The Early Man

 


"इन्हीं नए पाषाण-युग केआदमियों ने एक बहुत बड़ी चीज़ निकाली.  यह खेती करने का तरीका था। उन्होंने खेतों को जोतकर खाने की चीजें पेदा करनी शुरू कीं. उनके लिए यह बहुत बड़ी बात थी. अब उन्हें आसानी से खाना मिल जाता था, इसकी जरूरत न थी कि वे रात दिन जानवरों का शिकार करते रहें।अब उन्हें सोचने ओर आराम करने की ज़्यादा फुर्सत मिलने लगी. ओर उन्हें जितनी ही ज़्यादा फुर्सत मिलती थी, नई चीजों ओर तरीकों के निकालने में वे उतनी ही ज़्यादा तरक़्की करते थे. "

पिता के पत्र | एपिसोड 6 | आदमी कब पैदा हुआ | The Coming of Man

 


"आदमी की अक़्ल केसे धीरे-धीरे बढ़ती गई इसका शुरू से आज तक का पता हम लगा सकते हैं. सच तो यह है कि बुद्धि ही आदमियों को और जानवरों से अलग कर देती है. बिना समझ के आदमी और जानवर में कोई फर्क नहीं है. पहिली चीज़ जिसका आदमी ने पता लगाया वह शायद आग थी!"

शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 5 | जानवर कब पैदा हुए | The Animals Appear

 


स पत्र में नेहरू सरल भाषा में डार्विन की Theory of Evolution के बारे में समझाते हैं. वे बताते हैं कि पानी में जीवन की उत्पत्ति के बाद जमीन पर विचरण करने वाले जानवर उत्पन्न हुए. और अंत में लिखते हैं कि "आदमी भी पहले एक ऊँचे किस्म का बनमानुस था। यह सच है कि यह तरक़्की करता गया या यों कहो कि प्रकृति उसे सुधारती रही।पर आज उसके घमंड का ठिकाना नहीं। वह खयाल करता है कि और जानवरों से उसका मुकाबिला ही क्या। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि हम बन्दरों और बनमानुसों के भाईबंद हैं और आज भी शायद हममें से बहुतेरों का स्वभाव बन्दरों ही जैसा है।"

पिता के पत्र | एपिसोड 4 | जानदार चीजें कैसे पैदा हुई | The First Living Things

 


"जब हम चट्टानों को ग़ोर से देखते हैंऔर बहुत सी पुरानी हड्डियों को जमा करने पर पता चलता है कि मिन्न-मिन्न समय में भिन्न-भिन्न प्रकार के जानवर रहते थे। सब के सब एक बारगी कहीं से कूद कर नहीं आ गए | सबसे पहले छिलकेदार जानवर पेदा हुए जैसे घोंघे | उसके बाद ज़्यादा ऊँचे दरजे के जानवर पैदा हुए, जिनमें साँप ओर हाथी जैसे बड़े जानवर थे, और वह चिड़ियाँ और जानवर भी, जो आज तक मौजूद हैं।सबके पीछे आदमियों की हड्डियाँ मिलती हैं."

गुरुवार, 22 अगस्त 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 3 | ज़मीन कैसे बनी | The Making of the Earth

"वे लोग वे लोग जो कि सितारों के बारे में बहुत सी बातें जानते हैं हमें वतलाते हैं कि बहुत दिन पहिले हमारी ज़मीन ओर सारे ग्रह सूर्य ही में मिले हुए थे.... सूरज की गर्मी भी दिन-दिन कम होती जा रही है लेकिन उसे बिलकुल ठंडे हो जाने में लाखों बरस लगेंगे । ज़मीन के ठंडे होने में बहुत थोड़े दिन लगे।"




पिता के पत्र | एपिसोड 2 | शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया | How Early History was Written

इस पत्र में नेहरु जी बताते हैं की शुरू का इतिहास कैसे लिखा गया. वे लिखते हैं, "जिस जमाने मेंशहर और मुल्क बने, उसकी कहानी जानने के लिए पुरानी किताबें कभी कभी मिल जाती हैं. लेकिन ऐसी किताबें बहुत नहीं हैं. हाँ दूसरी चीजों से हमें मदद मिलती है. पुराने ज़माने के राजे-महाराजे अपने समय का हाल पत्थर के टुकड़ों और खम्बों पर लिखवा दिया करते थे."




मंगलवार, 13 अगस्त 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 1 | संसार पुस्तक है The Book of Nature

“पिता के पत्र पुत्री के नाम” में प्रकाशित पत्र जवाहरलाल नेहरू ने जेल से अपनी बेटी इंदिरा को लिखे थे. हिन्दी के अग्रणी साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने इनका हिंदी अनुवाद किया था.

इन पत्रों में आप सुनेंगे इस दुनिया के और अपने देश भारत के प्रागैतिहासिक काल यानि prehistoric era और आरम्भिक इतिहास की कहानी. इनमें कही बातें, छोटे-बड़े सभी लोगों का ज्ञानवर्धन करती हैं और वैश्विक एकत्व और बंधुत्व की भावना को बढ़ावा देती हैं.

नेहरूजी उम्मीद करते हैं कि "जो लोग इन पत्रों को पढ़ेंगे, वे धीरे-धीरे हमारी इस दुनिया को अनेक देशों का एक बड़ा परिवार समझना शुरू कर देंगे।" आज के इस पत्र का शीर्षक है: “संसार पुस्तक है”



मंगलवार, 6 अगस्त 2024

नेहरू, अंबेडकर, और हिन्दू कोड बिल


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और अन्य हिन्दू रूढ़िवादियों ने भरपूर प्रयास किया कि दलित व महिलाओं को निम्नश्रेणी के नागरिक ही रहने दिया जाये। कानून मंत्री अंबेडकर का मानना था कि भारत के आधुनिकीकरण के लिए personal laws में सुधार अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस बिल के जरिये नेहरू ने एक न्यायपूर्ण और धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना करने का प्रयास किया। 


वीडियो में बताई जानकारी को विस्तार से जानिए रामचंद्र गुहा की किताब "India After Gandhi" से :

https://www.amazon.in/India-After-Gandhi-History-Revised/dp/9395624590

https://www.amazon.com/India-After-Gandhi-History-Democracy/dp/0060958588

रविवार, 4 अगस्त 2024

बच्चे का अपहरण, फिरौती, और घर वापसी | ओ. हेनरी | Podcast


अमेरिकी साहित्यकार ओ. हेनरी की लिखी “The Ransom of Red Chief” यानि “रेड चीफ़ की फिरौती।” यह कहानी पहली बार 1902 में द सैटरडे इवनिंग पोस्ट में प्रकाशित हुई थी. हिंदी अनुवादक और प्रस्तुतकर्ता हैं गिरिबाला जोशी।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...