⚖️⛓️ राजनीतिक ठहराव, निजी संघर्ष और एक भयावह आपदा…
🎧 नेहरू की आत्मकथा के अध्याय 57 और 58
📘 57: गतिरोध
1933–34 के ठहराव भरे दौर में नेहरू एक्टिविज़्म और सतर्कता के बीच संतुलन साधते हैं।
वो कांग्रेस की निष्क्रियता और समाजवादी मूल्यों से दूर होने की आलोचना करते हैं।
स्वास्थ्य और व्यक्तिगत हानि के बीच, वह अगली गिरफ्तारी की तैयारी करते हैं।
📘 58: भूकंप
1934 का बिहार भूकंप एक परीक्षा बनकर सामने आता है।
नेहरू राहत कार्यों का नेतृत्व करते हैं और राजेन्द्र प्रसाद जैसे स्थानीय नेताओं की सराहना करते हैं।
वो ब्रिटिश सरकार की उदासीनता की आलोचना करते हैं और गांधीजी की "पाप का फल" वाली व्याख्या को खारिज कर,
वैज्ञानिक सोच और सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।
🎧 सुनिए संकट के समय नेहरू की सोच और सेवा का अद्भुत संगम।
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