इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू अपनी बेटी को समझाते हैं कि मजहब (धर्म) और काम के बंटवारे की शुरुआत कैसे हुई।
नेहरू बताते हैं कि पुराने ज़माने में लोग हर चीज़ से डरते थे और सोचते थे कि उनके दुर्भाग्य का कारण क्रोधी और ईर्ष्यालु देवता हैं। उन्हें ये काल्पनिक देवता प्रकृति—जंगल, पहाड़, नदी, बादल—हर जगह दिखाई देते थे। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए वे भोजन और बलिदान देते थे, यहाँ तक कि कभी-कभी इंसानों और बच्चों की भी बलि चढ़ा देते थे। यही भय से उत्पन्न विचार धर्म की शुरुआत का कारण बना। नेहरू कहते हैं कि कोई भी काम जो डर के कारण किया जाए, वह गलत है, और आज भी लोग धर्म के नाम पर आपस में लड़ते हैं।
इसके बाद नेहरू बताते हैं कि शुरुआती मनुष्य को हर दिन भोजन जुटाने की चुनौती होती थी। कोई भी आलसी व्यक्ति उस समय जीवित नहीं रह सकता था। जब जनजातियों का गठन हुआ, तो लोग मिलकर काम करने लगे, जिससे भोजन जुटाना आसान हो गया। सहयोग से वे बड़े-बड़े काम कर सकते थे, जो अकेले संभव नहीं थे। एक और बड़ा बदलाव कृषि के आगमन से आया। नेहरू ने चीटियों का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे वे अपने खाने के लिए घास हटाकर एक पौधे की रक्षा करती हैं, जो खेती की शुरुआत का संकेत हो सकता है।
कृषि के साथ भोजन प्राप्त करना आसान हो गया, और लोगों की ज़िंदगी पहले से कम कठिन हो गई। इसके साथ ही काम का बंटवारा भी शुरू हुआ। पहले सभी पुरुष शिकार करते थे, लेकिन कृषि के आने के बाद अलग-अलग प्रकार के काम उत्पन्न हुए—खेतों में काम करना, शिकार, और पशुओं की देखभाल करना। कुछ लोग एक काम करने लगे, जबकि कुछ अन्य काम।
नेहरू अंत में कहते हैं कि आज भी हर व्यक्ति किसी एक खास पेशे में विशेषज्ञ होता है—कोई डॉक्टर होता है, कोई इंजीनियर, बढ़ई, या दरज़ी। हर व्यक्ति अपने काम में कुशल होता है और यही काम का बंटवारा है, जिसकी शुरुआत कृषि के दौर में पुरानी जातियों के साथ हुई थी।
हिंदी में:
Tags:
Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters
Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru
Letters from a Father to his Daughter
Nehru ke patra Indira ko
Nehru’s Letters to Indira
पाठ 13 मज़हब की शुरुआत और काम का बँटवारा
Lesson 13 How Religion Began and Division of Labour