इस पत्र में नेहरू आर्यों के भारत आने और उससे हुई सांस्कृतिक बदलावों के बारे में बताते हैं। वे समझाते हैं कि आर्यों के आने से पहले भारत में एक प्राचीन सभ्यता थी, जैसे मिस्र में थी, और उस समय भारत में रहने वाले लोग द्रविड़ कहलाते थे। आज के दक्षिण भारत में उनके वंशज रहते हैं।
आर्य मध्य एशिया से आए और खाने की कमी के कारण अन्य देशों में फैल गए, जिनमें से कुछ ईरान और यूनान गए, जबकि कुछ कश्मीर के पहाड़ों के रास्ते भारत आए। आर्य एक ताकतवर योद्धा जाति थे जिन्होंने द्रविड़ों को दक्षिण की तरफ धकेल दिया। शुरुआत में आर्य केवल पंजाब और अफगानिस्तान में बस गए थे, जिसे उस समय "ब्रह्मावर्त" कहा जाता था।
आर्यों का विस्तार धीरे-धीरे गंगा और यमुना के मैदानों तक हुआ, जिसे उन्होंने "आर्यावर्त" नाम दिया। वे नदियों के किनारे बसे, और काशी (बनारस), प्रयाग जैसे शहर नदी तटों पर ही बने।
नेहरू यह भी बताते हैं कि आर्यों के भारत में आने के बारे में पुरानी संस्कृत किताबों से जानकारी मिलती है, जैसे वेदों से, जिनमें ऋग्वेद सबसे पुराना है। इसके बाद पुराण, रामायण, और महाभारत जैसे ग्रंथों से आर्यों की सभ्यता और विस्तार के बारे में और जानकारी मिलती है।
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