पत्र 26 में जवाहरलाल नेहरू जरा ठहर कर पृथ्वी और मानव सभ्यता के लंबे इतिहास पर विचार करते हैं। वह कहते हैं कि कुछ समय के लिए वह नई बातें नहीं लिखेंगे, बल्कि इंदिरा से उम्मीद करते हैं कि वह पहले से लिखी गई बातों पर ध्यान दे। नेहरू बताते हैं कि उन्होंने अपने खतों में करोड़ों साल की यात्रा की है, जब पृथ्वी सूरज का हिस्सा थी और धीरे-धीरे ठंडी होकर अलग हुई। इसके बाद जीवन का जन्म हुआ, जो लाखों-करोड़ों सालों में धीरे-धीरे विकसित हुआ।
नेहरू इंदिरा को समझाते हैं कि जीवन का विकास एक बहुत लंबी प्रक्रिया थी, और इस विशाल समय की कल्पना करना मुश्किल है। वह इंदिरा को याद दिलाते हैं कि इंसान का जीवन इन अनगिनत वर्षों की तुलना में कितना छोटा और मामूली है, और हमें छोटी-छोटी बातों से परेशान नहीं होना चाहिए। नेहरू यह भी बताते हैं कि शुरुआती समय में सिर्फ जानवर थे, और इंसान बहुत कमजोर और छोटा प्राणी था। धीरे-धीरे, हज़ारों सालों में इंसान मजबूत और होशियार बन गया और पृथ्वी पर अन्य जानवरों पर हावी हो गया।
नेहरू यह भी बताते हैं कि असली मानव इतिहास और सभ्यता की उन्नति पिछले तीन-चार हजार सालों में हुई है। जब इंदिरा बड़ी होगी, तो वह इस इतिहास को विस्तार से पढ़ेगी, और वह इन पत्रों में केवल एक झलक दिखा रहे हैं ताकि इंदिरा को इस छोटे से संसार में इंसान की यात्रा के बारे में कुछ जानकारी हो।
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