इस पत्र में, जवाहरलाल नेहरू यह समझाते हैं कि प्राचीन मानव जातियों में संपत्ति और नेतृत्व का विकास कैसे हुआ। प्रारंभ में, सभी चीजें पूरी जाति की होती थीं, और किसी का व्यक्तिगत स्वामित्व नहीं होता था, यहां तक कि सरगना का भी नहीं। सरगना का काम केवल जाति की संपत्ति की देखभाल करना था। लेकिन जैसे-जैसे सरगना की ताकत बढ़ी, उसने जाति की संपत्ति को अपना मानना शुरू कर दिया। इस तरह, व्यक्तिगत स्वामित्व की अवधारणा का जन्म हुआ।
समय के साथ, सरगना का पद मौरूसी हो गया, यानी उसकी जगह उसके परिवार का ही कोई सदस्य, जैसे उसका बेटा या भाई, लेने लगा। इस बदलाव के साथ, संपत्ति भी सरगना के परिवार की मानी जाने लगी। इस प्रकार, समाज में अमीर और गरीब का अंतर पैदा हुआ, क्योंकि सरगना ने जाति की संपत्ति पर अधिकार जमाना शुरू कर दिया। नेहरू अगले पत्र में इस विषय पर और अधिक लिखने की बात कहते हैं। Tags Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru Letters from a Father to his Daughter Nehru ke patra Indira ko Nehru’s Letters to Indira पाठ 16 सरग़ना का इख़्तियार कैसे बढ़ा अध्याय १६ सरग़ना का इख़्तियार कैसे बढ़ा Lesson 16 The Patriarch - How He Developed
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