बुधवार, 18 सितंबर 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 23 | भाषा, लिखावट, और गिनती | Language, Writing, and Numerals

 


इस पत्र में, नेहरू भाषा, लिखावट, और गिनती के उद्गम और विकास पर चर्चा करते हैं। वे बताते हैं कि भाषा की शुरुआत शायद जानवरों की तरह, डर या चेतावनी देने वाली आवाज़ों से हुई होगी। प्रारंभ में, इंसानों ने साधारण आवाज़ें निकालीं, और बाद में श्रमिकों द्वारा काम करते समय समूह में निकाली गई आवाज़ें (मज़दूर बोलियाँ) भाषा का हिस्सा बनीं। धीरे-धीरे, अधिक शब्द जुड़ते गए, जैसे पानी, आग, घोड़ा, भालू, और फिर संपूर्ण वाक्य बनने लगे। नेहरू यह भी बताते हैं कि प्रारंभिक सभ्यताओं में भाषा ने काफी प्रगति की थी, और गीत तथा कविताएँ लोकप्रिय थीं। उस समय लेखन कम प्रचलित था, इसलिए लोग ज़्यादातर बातें याद रखते थे। कवि और गायक वीरता के गीत गाते थे, जो उस समय की लड़ाई-झगड़े वाली जीवनशैली का प्रतीक थे। लिखावट का आरंभ भी दिलचस्प था। नेहरू बताते हैं कि लिखने की शुरुआत तस्वीरों से हुई, जहाँ लोग किसी वस्तु का चित्र बनाते थे। धीरे-धीरे चित्र सरल होते गए और फिर वर्णमाला का विकास हुआ, जिससे लिखना आसान हो गया। गिनती और अंक बहुत बड़ी खोज थी। बिना अंकों के व्यापार की कल्पना मुश्किल है। नेहरू बताते हैं कि यूरोप में पहले रोमन अंक प्रचलित थे, जो काफी कठिन थे। बाद में, "अरबी अंक" प्रचलित हुए, जो वास्तव में भारतीयों द्वारा विकसित किए गए थे। (इन्हें अब हिन्दू-अरबी अंक कहा जाता है)

Tags Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru Letters from a Father to his Daughter Nehru ke patra Indira ko Nehru’s Letters to Indira पाठ 23 भाषा, लिखावट, और गिनती अध्याय २३ भाषा, लिखावट, और गिनती Lesson 23 Language, Writing, and Numerals

सोमवार, 16 सितंबर 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 22 | समुद्री सफ़र और व्यापार | Sea Voyages and Trade


 

इस पत्र में नेहरू समुद्री सफर और व्यापार के विकास के बारे में बताते हैं। वे फिनीशियन जाति का उल्लेख करते हैं, जो व्यापार के लिए लंबे समुद्री सफर करती थी। वे प्राचीन समय के खतरनाक और रोमांचक समुद्री यात्राओं का वर्णन करते हैं, जब लोग छोटे-छोटे नावों में जोखिम भरे सफर पर निकलते थे। हालाँकि, ये यात्राएँ मुख्य रूप से व्यापार और धन कमाने के लिए की जाती थीं, न कि सिर्फ रोमांच के लिए।

नेहरू व्यापार के इतिहास की शुरुआत को समझाते हैं, जब लोग वस्तुओं का सीधे आदान-प्रदान (बार्टर) करते थे, जैसे एक गाय के बदले अनाज। बाद में, सोने और चांदी का इस्तेमाल व्यापार में होने लगा, जिससे वस्तुओं का आदान-प्रदान सरल हो गया। सोने और चांदी के सिक्के आने से व्यापार और आसान हो गया, क्योंकि वजन मापने की जरूरत नहीं रह गई।
उन्होंने यह भी बताया कि आज व्यापार बहुत जटिल हो गया है। दूर-दूर से वस्तुएं एक देश से दूसरे देश तक आती हैं। वे उदाहरण देते हैं कि किस प्रकार भारत की रुई इंग्लैंड जाकर कपड़ा बनती है और फिर भारत में वापस आती है। यह प्रक्रिया समय और संसाधनों की बर्बादी है। नेहरू खादी पहनने की वकालत करते हैं, जिससे देशी उत्पादन को बढ़ावा मिले और गरीब कारीगरों की मदद हो। अंत में, नेहरू पैसे की सही भूमिका समझाते हैं। पैसा केवल वस्तुओं का आदान-प्रदान करने का माध्यम है और इसे केवल जमा करने के बजाय इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि पैसा खुद में कोई मूल्य नहीं रखता जब तक इसका उपयोग किसी ज़रूरी चीज़ के लिए न किया जाए।

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शनिवार, 14 सितंबर 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 21 | चीन और हिन्दुस्तान | China and India

 


इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू चीन और भारत की प्राचीन सभ्यताओं पर चर्चा करते हैं। वे बताते हैं कि जैसे मेसोपोटेमिया और मिस्र में सभ्यता का विकास हुआ, वैसे ही उसी समय चीन और भारत में भी उन्नत सभ्यताएँ विकसित हुईं। चीन में मंगोल जाति के लोग नदियों की घाटियों में बसे और उन्होंने पीतल और लोहे के बर्तन बनाए। उन्होंने नहरें और इमारतें बनाई और एक अनोखी चित्रलिपि विकसित की, जो आज भी इस्तेमाल होती है। भारत के संदर्भ में नेहरू बताते हैं कि आर्यों के आने से पहले द्रविड़ सभ्यता का विकास हुआ था, जो ऊँचे स्तर की थी। द्रविड़ लोग व्यापार में माहिर थे और मेसोपोटेमिया और मिस्र में चावल, मसाले, और साखू की लकड़ी भेजते थे। इससे पता चलता है कि भारत का दूसरे देशों के साथ प्राचीन काल में भी गहरा व्यापारिक संबंध था। नेहरू बताते हैं कि चीन और भारत में उस समय छोटी-छोटी रियासतें थीं, जिनमें से कई पंचायती राज के तहत चलती थीं, जबकि कुछ में राजा का शासन था। चीन में बाद में ये छोटी रियासतें एक बड़े साम्राज्य में बदल गईं, जिसके समय में चीन की महान दीवार का निर्माण हुआ था। नेहरू दीवार की विशालता का वर्णन करते हुए बताते हैं कि यह 1400 मील लंबी और 20 से 30 फीट ऊँची थी, जो अब भी अस्तित्व में है। Tags Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru Letters from a Father to his Daughter Nehru ke patra Indira ko Nehru’s Letters to Indira पाठ 21 चीन और हिन्दुस्तान सारांश अध्याय २१ चीन और हिन्दुस्तान Lesson 21 China and India

गुरुवार, 12 सितंबर 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 20 | मिश्र और क्रीट | Egypt and Crete

 


इस पत्र में, जवाहरलाल नेहरू प्राचीन मिस्र और क्रीट की सभ्यताओं के बारे में बताते हैं, जो उनकी अद्वितीय वास्तुकला, संस्कृति, और धार्मिक विश्वासों से जुड़ी हैं। नेहरू मिस्र की विशाल इमारतों जैसे कि पिरामिड और स्फिंक्स का वर्णन करते हैं। पिरामिड मिस्र के पुराने फराओ (राजाओं) के मकबरे थे, जिनमें उनकी ममी (संरक्षित शव) और उनके साथ सोने-चांदी के गहने और वस्त्र रखे जाते थे ताकि उन्हें मृत्यु के बाद आवश्यकता हो। उन्होंने तूतनखामन नामक एक फराओ की ममी की खोज का भी उल्लेख किया। इसके अलावा, नेहरू मिस्र के प्राचीन नहरों और झीलों की बात करते हैं, जो खेती के लिए बनाई गई थीं, यह दिखाता है कि उस समय मिस्र के लोग कितने उन्नत और कुशल थे। इसके बाद, नेहरू क्रीट द्वीप के बारे में बताते हैं, जहां प्राचीन समय में एक उन्नत सभ्यता थी। वे नोसोस के महल का उल्लेख करते हैं, जिसमें स्नानघर और पानी की पाइपलाइन जैसी आधुनिक सुविधाएं थीं। उन्होंने क्रीट से जुड़े प्रसिद्ध मिथकों का जिक्र भी किया, जैसे राजा मीनास की कहानी, जिसके छूने से सब कुछ सोना बन जाता था, और मिनोटॉर नामक राक्षस की कथा, जिसके लिए लड़के और लड़कियों की बलि दी जाती थी। नेहरू यह समझाने का प्रयास करते हैं कि प्राचीन धार्मिक विचार और बलि अनजाने और भय के कारण होते थे, और यह भी बताते हैं कि अब इंसानों की बलि लगभग समाप्त हो चुका है, हालांकि जानवरों की बलि अभी भी कहीं-कहीं दी जाती है। वे बलि की परंपरा को पूजा करने का अजीब तरीका कहते हैं!


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रविवार, 8 सितंबर 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 19 | पुरानी दुनिया के बड़े-बड़े शहर | The Great Cities Of The Ancient World


 इस पत्र में, जवाहरलाल नेहरू ने प्राचीन दुनिया के बड़े शहरों के बारे में बताया है। उन्होंने समझाया कि प्राचीन सभ्यताएँ मुख्यतः नदियों के किनारे और उपजाऊ घाटियों में बसी थीं, जहाँ पानी और भोजन की प्रचुरता थी। नेहरू ने बाबुल, नेनुवा, और असुर जैसे प्राचीन शहरों का उल्लेख किया, जो अब मिट्टी और बालू के नीचे दब चुके हैं और सिर्फ खुदाई के दौरान उनके खंडहर मिलते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि समय के साथ इन पुराने शहरों के ऊपर नए शहर बस गए, लेकिन धीरे-धीरे वे भी वीरान हो गए और मिट्टी और धूल के नीचे दब गए। उन्होंने दमिश्क का उदाहरण दिया, जो आज भी एक प्राचीन और जीवित शहर है, और संभवतः दुनिया का सबसे पुराना शहर माना जाता है।

नेहरू ने भारतीय प्राचीन शहरों का भी उल्लेख किया, जैसे इंद्रप्रस्थ, जो दिल्ली के पास था और अब उसका कोई निशान नहीं है, और बनारस (काशी), जो दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है। उन्होंने इलाहाबाद, कानपुर, पटना और चीन के पुराने शहरों का भी जिक्र किया, जो नदियों के किनारे स्थित हैं, लेकिन ये इतने पुराने नहीं हैं। Tags Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru Letters from a Father to his Daughter Nehru ke patra Indira ko Nehru’s Letters to Indira पाठ 19 पुरानी दुनिया के बड़े-बड़े शहर अध्याय १९ पुरानी दुनिया के बड़े-बड़े शहर Lesson 19 The Great Cities Of The Ancient World

शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 18 | शुरू का रहन-सहन | The Early Civilizations

 


इस पत्र में, जवाहरलाल नेहरू ने प्राचीन सभ्यताओं और उस समय के लोगों के जीवन पर प्रकाश डाला है। वे बताते हैं कि हालाँकि हमें इन सभ्यताओं के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन पत्थरों से बनी पुरानी इमारतों, मंदिरों और महलों के खंडहरों से हमें उस समय के लोगों के रहन-सहन और उनकी गतिविधियों के बारे में कुछ जानकारी मिलती है। नेहरू बताते हैं कि यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि सबसे पहले इंसानों ने कहाँ बसावट की और सभ्यता का विकास किया। कुछ लोग मानते हैं कि एटलांटिक महासागर में एटलांटिस नामक एक उच्च सभ्यता वाला देश था, जो महासागर में समा गया, लेकिन इसके कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। इसके अलावा, उन्होंने अमेरिका में प्राचीन सभ्यताओं की संभावना का भी उल्लेख किया, जो कोलंबस के अमेरिका की खोज से पहले वहाँ मौजूद थीं। नेहरू बताते हैं कि यूरोप और एशिया, जिसे युरेशिया कहा जाता है, में प्राचीन सभ्यताएँ मेसोपोटामिया, मिस्र, क्रीट, भारत और चीन में विकसित हुईं। वे बताते हैं कि पुराने जमाने के लोग ऐसे स्थानों को बसावट के लिए चुनते थे, जहाँ पानी की प्रचुरता होती थी, जिससे खेती के लिए आवश्यक पानी उपलब्ध हो सके। इसलिए मेसोपोटामिया, मिस्र, और भारत की प्राचीन सभ्यताएँ नदियों के किनारे बसीं, जो उनके लिए भोजन और अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करती थीं। इन नदियों को पवित्र और पूजनीय माना गया, जैसे मिस्र में नील नदी को "पिता नील" और भारत में गंगा नदी को "गंगा माई" कहा गया। नेहरू इस बात पर जोर देते हैं कि इन नदियों की पूजा इसलिए की जाती थी क्योंकि ये जीवन के लिए आवश्यक जल और उपजाऊ मिट्टी प्रदान करती थीं, लेकिन लोगों ने समय के साथ इस पूजा के वास्तविक कारण को भुला दिया और केवल परंपरा का पालन करते रहे। Tags Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru Letters from a Father to his Daughter Nehru ke patra Indira ko Nehru’s Letters to Indira पाठ 18 शुरू का रहन-सहन अध्याय १८ शुरू का रहन-सहन Lesson 18 The Early Civilizations

बुधवार, 4 सितंबर 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 17 | सरग़ना राजा हो गया | The Patriarch Becomes a King

 




इस पत्र में, नेहरू बताते हैं कि कैसे सरगना (पुराने समय के मुखिया) राजा बने। वह समझाते हैं कि सरगना अपने कबीले या जाति का नेता और पिता होता था। जब सरगना की गद्दी वंशानुगत हो गई, तो वह राजा में परिवर्तित हो गया। राजा ने यह मान लिया कि पूरे देश की हर चीज़ उसकी है, और उसने खुद को पूरा देश समझ लिया। एक फ्रांसीसी राजा ने कहा था, "मैं ही राज्य हूँ," जो इस बात का प्रतीक है कि राजा खुद को जनता का सेवक समझने की बजाय, मालिक समझने लगे।

राजा यह भूल गए कि लोग उन्हें केवल इसलिए चुनते थे क्योंकि वे सबसे समझदार और अनुभवी व्यक्ति माने जाते थे, ताकि वे देश का बेहतर प्रबंधन कर सकें। लेकिन उन्होंने खुद को भगवान का चुना हुआ मानकर यह समझ लिया कि उनके शासन का अधिकार ईश्वर से मिला है, जिसे उन्होंने "राजाओं का दिव्य अधिकार" कहा।

इतिहास में, नेहरू ने समझाया कि कैसे इंग्लैंड, फ्रांस और रूस जैसी जगहों पर लोगों ने अपने राजाओं को उनकी तानाशाही के कारण उखाड़ फेंका। उन्होंने इंग्लैंड के राजा चार्ल्स प्रथम को हटाने और फ्रांस और रूस में बड़ी क्रांतियों का जिक्र किया, जहां लोगों ने अपने राजाओं को निष्कासित कर दिया।

नेहरू ने बताया कि अब ज्यादातर देशों में राजा नहीं हैं और वे गणराज्य बन गए हैं, जहां लोग अपने नेताओं को चुनते हैं। हालांकि, भारत में अभी भी राजा, महाराजा और नवाब हैं, जो जनता से वसूले गए टैक्स का दुरुपयोग करके शाही जीवन जीते हैं, जबकि उनकी प्रजा गरीबी में जीवन व्यतीत करती है और उनके बच्चों के लिए स्कूल तक नहीं हैं।

Tags Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru Letters from a Father to his Daughter Nehru ke patra Indira ko Nehru’s Letters to Indira पाठ 17 सरग़ना राजा हो गया अध्याय १७ सरग़ना राजा हो गया Lesson 17 The Patriarch Becomes a King

सोमवार, 2 सितंबर 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 16 | सरग़ना का इख़्तियार कैसे बढ़ा | The Patriarch - How He Developed

 


इस पत्र में, जवाहरलाल नेहरू यह समझाते हैं कि प्राचीन मानव जातियों में संपत्ति और नेतृत्व का विकास कैसे हुआ। प्रारंभ में, सभी चीजें पूरी जाति की होती थीं, और किसी का व्यक्तिगत स्वामित्व नहीं होता था, यहां तक कि सरगना का भी नहीं। सरगना का काम केवल जाति की संपत्ति की देखभाल करना था। लेकिन जैसे-जैसे सरगना की ताकत बढ़ी, उसने जाति की संपत्ति को अपना मानना शुरू कर दिया। इस तरह, व्यक्तिगत स्वामित्व की अवधारणा का जन्म हुआ।

समय के साथ, सरगना का पद मौरूसी हो गया, यानी उसकी जगह उसके परिवार का ही कोई सदस्य, जैसे उसका बेटा या भाई, लेने लगा। इस बदलाव के साथ, संपत्ति भी सरगना के परिवार की मानी जाने लगी। इस प्रकार, समाज में अमीर और गरीब का अंतर पैदा हुआ, क्योंकि सरगना ने जाति की संपत्ति पर अधिकार जमाना शुरू कर दिया। नेहरू अगले पत्र में इस विषय पर और अधिक लिखने की बात कहते हैं। Tags Jawaharlal Nehru Indira Gandhi letters Pita ke Patra Putri ke Naam by Jawaharlal Nehru Letters from a Father to his Daughter Nehru ke patra Indira ko Nehru’s Letters to Indira पाठ 16 सरग़ना का इख़्तियार कैसे बढ़ा अध्याय १६ सरग़ना का इख़्तियार कैसे बढ़ा Lesson 16 The Patriarch - How He Developed

रविवार, 1 सितंबर 2024

पिता के पत्र | एपिसोड 15 | खानदान का सरगना केसे बना | The Patriarch - How He Began

 


पत्र का सारांश - Summary of the letter

इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू अपनी बेटी इंदिरा को समझाते हैं कि समाज में सरगना (पितृसत्ता) की शुरुआत कैसे हुई। पहले के समय में, जब समाज सरल था, सब लोग बराबर थे और मिल-जुलकर काम करते थे। खेती और नई गतिविधियों के आने के बाद, किसी को काम बाँटने और संगठन करने की ज़रूरत पड़ी, और यह ज़िम्मेदारी सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को दी गई, जिसे सरगना या पितामह कहा गया।

शुरुआत में, सरगना भी बाकी लोगों की तरह काम करता था, लेकिन धीरे-धीरे उसने संगठन का काम करने के लिए शारीरिक श्रम करना छोड़ दिया और दूसरों से अलग हो गया। सरगना का काम सिर्फ संगठन करना और लोगों को काम का आदेश देना रह गया। समय के साथ, जब लड़ाइयाँ होने लगीं, सरगना का महत्व और भी बढ़ गया क्योंकि बिना नेता के लड़ाई संभव नहीं थी।

सरगना ने अपनी मदद के लिए और लोगों को भी संगठन करने के काम में लगाया, जिससे समाज दो हिस्सों में बंट गया—एक वो जो संगठन का काम करते थे और दूसरे वे जो सामान्य श्रम करते थे। इस तरह समाज में असमानता की शुरुआत हुई, और सरगना का दबदबा बढ़ता गया। अगले पत्र में नेहरू और विस्तार से इस प्रक्रिया को समझाएंगे।


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Nehru’s Letters to Indira
पाठ 15   ख़ानदान का सरग़ना कैसे बना  
Lesson 15  The Patriarch - How He Began

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