🎧 नेहरू की आत्मकथा के अध्याय 43 और 44
🧱 जेल की दीवारें और अडिग आत्मा की आवाज़!
📘 43: बरेली और देहरादून की जेलों में
बीमार और बंदी, नेहरू अपने विचार साझा करते हैं:
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निस्तेज होता आंदोलन,
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जेल की अमानवीय परिस्थितियाँ,
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और किसानों, महिलाओं और कैदियों का साहस।
वे सामाजिक अन्याय और ऊँची जातियों के अलगाव पर करारा प्रहार करते हैं।
📘 44: जेल में भावनाओं का प्रहार (Prison Humours)
जेल ने मन और शरीर को तोड़ा, फिर भी नेहरू ने पाया:
📚 अध्ययन
✍️ लेखन
🤝 साथी कैदियों से आत्मीयता
एकाकीपन और सेंसरशिप के बीच भी, मानव आत्मा की ताक़त बनी रही।
🎧 सुनिए जेल की कोठरी में जन्मे विचार, व्यथा और आशा की कहानी।
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