🕯️ शोक और समझौता। एक पुत्र, एक नेता, और एक आंदोलनकारी की दास्तान।
🎧 नेहरू की आत्मकथा के अध्याय 33 और 34 अब ऑडियो पॉडकास्ट में सुनें।
📘 33: मेरे पिता की मृत्यु
💔 फरवरी 1931 में मोतीलाल नेहरू ने गरिमा के साथ दुनिया को अलविदा कहा।
देश भर में शोक की लहर थी। नेहरू को यह व्यक्तिगत दुख गांधीजी के समर्थन और अपने पिता की विरासत से कुछ हद तक सहन हुआ।
📘 34: दिल्ली समझौता
🤝 गांधी और वायसराय इरविन के बीच बातचीत से बना दिल्ली समझौता — एक अस्थायी शांति।
नेहरू गांधीजी के नैतिक साहस से प्रभावित थे, पर पूर्ण स्वतंत्रता से कम कुछ भी उन्हें अधूरा लगा।
🎧 सुनिए नेहरू की आत्मा की आवाज़ — बेटे, नेता और देशभक्त की तरह।
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