शुक्रवार, 17 जनवरी 2025

फ्री ऑडियोबुक अंग्रेजी व हिंदी में | पिता के पत्र पुत्री के नाम (1929)| जवाहरलाल नेहरू

पिता के पत्र पुत्री के नाम  (1929)  लेखक - जवाहरलाल नेहरू। 
 ये पत्र जवाहरलाल नेहरू ने जेल से अपनी बेटी इंदिरा प्रियदर्शिनी (बाद में गांधी) को लिखे थे. इन पत्रों में इस दुनिया के और अपने देश भारत के प्रागैतिहासिक काल यानि prehistoric era और आरम्भिक इतिहास की कहानी है. इनमें कही बातें, छोटे-बड़े सभी लोगों का ज्ञानवर्धन करती हैं और वैश्विक एकत्व और बंधुत्व की भावना को बढ़ावा देती हैं.

TABLE OF CONTENTS
Foreword To First Edition 0:54
1. The Book Of Nature 2:25
2. How Early History Was Written 7:33
3. The Making Of The Earth 13:08
4. The First Living Things 17:39
5. The Animals Appear 24:27
6. The Coming Of Man 29:16
7. The Early Men 35:53
8. How Different Races Were Formed 43:40
9. The Races And Languages Of Mankind 49:13
10. The Relationships Of Languages 55:19
11. What Is Civilization? 59:45
12. The Formation Of Tribes 1:03:00
13. How Religion Began And Division Of Labour 1:07:04
14 The Changes Brought About By Agriculture 1:11:44
15. The Patriarch—How He Began 1:15:32
16. The Patriarch—How He Developed 1:19:03
17. The Patriarch Becomes The King 1:22:42
18. The Early Civilizations 1:25:12
19. The Great Cities Of The Ancient World 1:31:21
20. Egypt And Crete 1:35:06
21. China And India 1:39:32
22. Sea Voyages And Trade 1:43:26
23. Language, Writing And Numerals 1:49:15
24. Different Classes Of People 2:19:28
25. Kings And Temples And Priests 1:56:43
26. A Look Back 2:01:26
27. Pictures Of Fossil Fishes 2:03:58
28. Fossils And Ruins 2:05:34
29. The Aryans Come To India 2:08:17
30. What Were The Aryans In India Like? 2:11:51
31. The Ramayana And The Mahabharata 2:16:03

हिंदी में:



अंग्रेजी में:


गुरुवार, 9 जनवरी 2025

पत्र 31 | रामायण और महाभारत

इस पत्र में नेहरू रामायण और महाभारत की महत्ता पर चर्चा करते हैं। वे बताते हैं कि वेदों के युग के बाद काव्यों का युग आया, जिसमें दो प्रमुख महाकाव्य — रामायण और महाभारत — लिखे गए।

नेहरू लिखते हैं कि इस युग में आर्य लोग उत्तर भारत से विंध्य पर्वत तक फैल गए थे, और इस क्षेत्र को "आर्यावर्त" कहा जाता था, जो चाँद के आकार की तरह दिखता था।

रामायण की कथा राम और सीता के साथ लंका के राजा रावण की लड़ाई की है, जिसे वाल्मीकि ने संस्कृत में लिखा, और तुलसीदास ने हिंदी में "रामचरितमानस" के रूप में प्रस्तुत किया। संभव है कि रामायण में दक्षिण भारत के लोगों और आर्यों की लड़ाई का चित्रण हो।

महाभारत, जो रामायण के काफी बाद लिखा गया, एक विशाल ग्रंथ है और इसमें आर्यों के आपसी संघर्ष की कथा है। लेकिन इसके अतिरिक्त, इसमें गहरी विचारधारा और सुंदर कहानियाँ हैं, जिनमें भगवद गीता एक अनमोल रत्न है। नेहरू बताते हैं कि ये ग्रंथ हजारों साल पुराने होने के बावजूद आज भी जीवित हैं और लोगों पर प्रभाव डालते हैं।

अंग्रेजी में : 


हिंदी में :  



पत्र 30 | हिन्दुस्तान के आर्य कैसे थे?

इस पत्र में, नेहरू बताते हैं कि आर्य हजारों साल पहले हिन्दुस्तान आए थे, शायद कई चरणों में, जहां वे लंबे काफिलों में यात्रा करते हुए आए। ज़्यादातर आर्य उत्तर पश्चिम की पहाड़ियों से आए, जबकि कुछ शायद समुद्र के रास्ते सिंधु नदी तक पहुंचे।

आर्यों के जीवन और संस्कृति की जानकारी उनकी प्राचीन पुस्तकों, खासकर वेदों, से मिलती है। वेद दुनिया की सबसे पुरानी पुस्तकों में गिनी जाती हैं, जिन्हें शुरू में लिखा नहीं गया था, बल्कि लोग उन्हें याद करके गाते और सुनाते थे। ये संस्कृत में लिखी गईं और आज भी उनकी सुंदरता के कारण प्रशंसा की जाती है। वेदों में उस समय के ऋषियों और मुनियों का ज्ञान संकलित था। नेहरू बताते हैं कि वे लोग आज के समय के लोगों से अधिक बुद्धिमान माने जाते हैं और उनकी पुस्तकें आज भी आदर के साथ देखी जाती हैं।

ऋग्वेद, सबसे पुराना वेद, भजनों और गीतों से भरा है, जो दर्शाता है कि पुराने आर्य खुशमिजाज और हंसमुख थे। वे अपनी स्वतंत्रता को बहुत महत्व देते थे और गुलामी से बेहतर मरना समझते थे।

आर्य अच्छे योद्धा थे और विज्ञान और कृषि में भी माहिर थे। वे नदियों और जानवरों, खासकर गाय और बैल, का सम्मान करते थे, क्योंकि ये उनकी खेती और जीवन में सहायक थे। गाय को उनकी उपयोगिता के कारण महत्व दिया गया, लेकिन समय के साथ लोग इसका असली कारण भूलकर उसकी पूजा करने लगे।

आर्य अपनी जाति पर गर्व करते थे और दूसरों से मिलजुल कर रहने से बचते थे। उन्होंने नियम बनाए ताकि अन्य जातियों से विवाह न हो सके। यह धीरे-धीरे जाति व्यवस्था में बदल गया, जिसे नेहरू आज के समय में निरर्थक मानते हैं और कहते हैं कि यह प्रथा अब घट रही है।

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पत्र 29 आर्यों का हिन्दुस्तान में आना

 इस पत्र में नेहरू आर्यों के भारत आने और उससे हुई सांस्कृतिक बदलावों के बारे में बताते हैं। वे समझाते हैं कि आर्यों के आने से पहले भारत में एक प्राचीन सभ्यता थी, जैसे मिस्र में थी, और उस समय भारत में रहने वाले लोग द्रविड़ कहलाते थे। आज के दक्षिण भारत में उनके वंशज रहते हैं।

आर्य मध्य एशिया से आए और खाने की कमी के कारण अन्य देशों में फैल गए, जिनमें से कुछ ईरान और यूनान गए, जबकि कुछ कश्मीर के पहाड़ों के रास्ते भारत आए। आर्य एक ताकतवर योद्धा जाति थे जिन्होंने द्रविड़ों को दक्षिण की तरफ धकेल दिया। शुरुआत में आर्य केवल पंजाब और अफगानिस्तान में बस गए थे, जिसे उस समय "ब्रह्मावर्त" कहा जाता था।

आर्यों का विस्तार धीरे-धीरे गंगा और यमुना के मैदानों तक हुआ, जिसे उन्होंने "आर्यावर्त" नाम दिया। वे नदियों के किनारे बसे, और काशी (बनारस), प्रयाग जैसे शहर नदी तटों पर ही बने।

नेहरू यह भी बताते हैं कि आर्यों के भारत में आने के बारे में पुरानी संस्कृत किताबों से जानकारी मिलती है, जैसे वेदों से, जिनमें ऋग्वेद सबसे पुराना है। इसके बाद पुराण, रामायण, और महाभारत जैसे ग्रंथों से आर्यों की सभ्यता और विस्तार के बारे में और जानकारी मिलती है।

अंग्रेजी में :  


हिंदी में : 


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