शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

धर्मेन्द्र जी के दिल से निकली चंद कवितायेँ

फिल्म 'यमला पगला दीवाना' में धर्मेन्द्र जी ने एक गाना लिखा है. इस फिल्म के प्रचार के दौरान, हमारे रोमांटिक-एक्शन हीरो ने बताया कि वे कवितायेँ भी लिखते हैं और निकट भविष्य में अपना कविता संकलन प्रकाशित करेंगे. जब तक असली कवितायेँ छप कर ना आ जाएँ, तब तक आप इन नकली कविताओं से काम चलाइए:



#1
मैं जट यमला पगला दीवाना,
हो रब्बा, इतनी सी बात ना जाना,
कि राजनीति मेरे बस की बात नहीं है.
चुनाव जीतना तो बाएं हाथ का खेल था,
हो रब्बा, संसद में बैठ ना पाया,
कि अभिनेता से नेता बनना आसान नहीं है.




# 2
"बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना,"
यह कहकर मैं बसंती को घर तो ले आया,
मगर बसंती का नाचने का शौक ना गया.
और तो और, बेटियों को भी सिखा दिया.
कहती है, "नृत्य मेरा जीवन है,
कुत्तों के डर से क्या जीना छोड़ दूं?"


# 3
गलियों में, चौबारों में, महफ़िल की चार दीवारों में,
बेगैरत सौदागर लगे हैं अफवाहों की चोर बाजारी में.
लोगों को क्या रील और रियल में फर्क नहीं पता चलता?
जो कहते हैं, "मुंबई के कुत्तों का खून धरम पाजी पी गए."
पागल कुत्ते तो अब भी भोंकते हैं, खुदा ना खास्ता,
मुंबई को बम्बई कह दो तो काटने को दौड़ते हैं.

अंग्रेजी ब्लॉग पर प्रकाशित अन्य कवितायेँ 

18 टिप्‍पणियां:

  1. मैं शायद मीना कुमारी जी जितना दीवाना नहीं हूँ लेकिन जाने क्यों इस शख्स पर बहुत प्यार आता है. कविताएं ठीक ओरिजनल इत्ती सी बात न जाना वाले अंदाज को संवारती है और आखिरी कविता तक आते हुए लगता है कि ये महज हास्य नहीं है. आपका संदेश दिमाग तक पहुँचता है. बहुत खूब...

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  2. .

    @-मुंबई को बम्बई कह दो तो काटने को दौड़ते हैं...

    गजब का निशाना साधा है ।
    बधाई ।

    .

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  3. धन्यवाद् किशोर! इसका मतलब है कि...है कि...है कि आप ने 'यमला पगला दीवाना' देख ली.
    धन्यवाद् दिव्या!
    क्रिएटिव मंच: बाकी के टीम मेम्बर्स को मेरा हेलो बोलना!

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  4. गजब का निशाना साधा है| धन्‍यवाद|

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  5. ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत,
    उत्तरप्रदेश ब्लोगेर असोसिएसन
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  6. @Anchal: Thanks :-)
    @Anand, @Patali, and @Harish, thanks a lot for the welcome. I will slowly get to know you all and keep your suggestions in mind :-)

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  7. इस बात में कोई भी दो राय नहीं है कि लिखना बहुत ही अच्छी आदत है, इसलिये ब्लॉग पर लिखना सराहनीय कार्य है| इससे हम अपने विचारों को हर एक की पहुँच के लिये प्रस्तुत कर देते हैं| विचारों का सही महत्व तब ही है, जबकि वे किसी भी रूप में समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच पहुँच सकें| इस कार्य में योगदान करने के लिये मेरी ओर से आभार और साधुवाद स्वीकार करें|

    अनेक दिनों की व्यस्ततम जीवनचर्या के चलते आपके ब्लॉग नहीं देख सका| आज फुर्सत मिली है, तब जबकि 14 फरवरी, 2011 की तारीख बदलने वाली है| आज के दिन विशेषकर युवा लोग ‘‘वैलेण्टाइन-डे’’ मनाकर ‘प्यार’ जैसी पवित्र अनुभूति को प्रकट करने का साहस जुटाते हैं और अपने प्रेमी/प्रेमिका को प्यार भरा उपहार देते हैं| आप सबके लिये दो लाइनें मेरी ओर से, पढिये और आनन्द लीजिये -

    वैलेण्टाइन-डे पर होश खो बैठा मैं तुझको देखकर!
    बता क्या दूँ तौफा तुझे, अच्छा नहीं लगता कुछ तुझे देखकर!!

    शुभाकॉंक्षी|
    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
    सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    (देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
    फोन : 0141-2222225(सायं सात से आठ बजे के बीच)
    मोबाइल : 098285-02666

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  8. प्रस्तुति अलग अंदाज में, बढिया...

    हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, कामना है कि आप इस क्षेत्र में सर्वोच्च बुलन्दियों तक पहुंचें । आप हिन्दी के दूसरे ब्लाग्स भी देखें और अच्छा लगने पर उन्हें फालो भी करें । आप जितने अधिक ब्लाग्स को फालो करेंगे आपके अपने ब्लाग्स पर भी फालोअर्स की संख्या बढती जा सकेगी । प्राथमिक तौर पर मैं आपको मेरे ब्लाग 'नजरिया' की लिंक नीचे दे रहा हूँ आप इसका अवलोकन करें और इसे फालो भी करें । आपको निश्चित रुप से अच्छे परिणाम मिलेंगे । कृपया जहाँ भी आप ब्लाग फालो करें वहाँ एक टिप्पणी अवश्य छोडें जिससे दूसरों को आप तक पहुँच पाना आसान रहे । धन्यवाद सहित...
    http://najariya.blogspot.com/

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  9. बहुत करारा व्यंग किया जी, सुन्दर।

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  10. निरंकुशजी, तिवारीजी, बाकलीवालजी, संगीताजी, और अरूणजी, आप सबका धन्यवाद् :-))

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  11. बसंती को किसी के भी डर से जीना छोड़ने की जरूररत नहीं है. मैं बसंती के साथ हूँ......

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