सोमवार, 10 जून 2024

4 जून के लिए एक प्रार्थना: "जहाँ डर का माहौल ना हो"

 

रविंद्रनाथ टैगोर की कविता "Where the mind is without fear and the head is held high..." का हिंदी अनुवाद और विश्लेषण।

"जहां डर का माहौल न हो और हर कोई आत्मसम्मान से सर उठा कर जिए;.... ... ऐसे आज़ादी के स्वर्ग में, हे परमपिता, मेरे देशवासी नया सवेरा देखें! "

इसमें टैगोर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं और देशवासियों को सन्देश दे रहे हैं कि कैसे नैतिकता और कर्मठता के मार्ग पर चलकर एक बेहतर राष्ट्र बनाया जा सकता है.

(Update: ईश्वर ने प्रार्थना सुन ली है 😍)


Tags: Ravindranath Tagore, Poem, Hindi Translation, Video

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