बुधवार, 20 नवंबर 2024

पत्र 21 | चीन और हिन्दुस्तान | पिता के पत्र पुत्री के नाम

इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू चीन और भारत की प्राचीन सभ्यताओं पर चर्चा करते हैं। वे बताते हैं कि जैसे मेसोपोटेमिया और मिस्र में सभ्यता का विकास हुआ, वैसे ही उसी समय चीन और भारत में भी उन्नत सभ्यताएँ विकसित हुईं। चीन में मंगोल जाति के लोग नदियों की घाटियों में बसे और उन्होंने पीतल और लोहे के बर्तन बनाए। उन्होंने नहरें और इमारतें बनाई और एक अनोखी चित्रलिपि विकसित की, जो आज भी इस्तेमाल होती है।

भारत के संदर्भ में नेहरू बताते हैं कि आर्यों के आने से पहले द्रविड़ सभ्यता का विकास हुआ था, जो ऊँचे स्तर की थी। द्रविड़ लोग व्यापार में माहिर थे और मेसोपोटेमिया और मिस्र में चावल, मसाले, और साखू की लकड़ी भेजते थे। इससे पता चलता है कि भारत का दूसरे देशों के साथ प्राचीन काल में भी गहरा व्यापारिक संबंध था।

नेहरू बताते हैं कि चीन और भारत में उस समय छोटी-छोटी रियासतें थीं, जिनमें से कई पंचायती राज के तहत चलती थीं, जबकि कुछ में राजा का शासन था। चीन में बाद में ये छोटी रियासतें एक बड़े साम्राज्य में बदल गईं, जिसके समय में चीन की महान दीवार का निर्माण हुआ था। नेहरू दीवार की विशालता का वर्णन करते हुए बताते हैं कि यह 1400 मील लंबी और 20 से 30 फीट ऊँची थी, जो अब भी अस्तित्व में है।

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सोमवार, 18 नवंबर 2024

पत्र 20 | मिश्र और क्रीट | पिता के पत्र पुत्री के नाम

 इस पत्र में, जवाहरलाल नेहरू प्राचीन मिस्र और क्रीट की सभ्यताओं के बारे में बताते हैं, जो उनकी अद्वितीय वास्तुकला, संस्कृति, और धार्मिक विश्वासों से जुड़ी हैं।

नेहरू मिस्र की विशाल इमारतों जैसे कि पिरामिड और स्फिंक्स का वर्णन करते हैं। पिरामिड मिस्र के पुराने फराओ (राजाओं) के मकबरे थे, जिनमें उनकी ममी (संरक्षित शव) और उनके साथ सोने-चांदी के गहने और वस्त्र रखे जाते थे ताकि उन्हें मृत्यु के बाद आवश्यकता हो। उन्होंने तूतनखामन नामक एक फराओ की ममी की खोज का भी उल्लेख किया। इसके अलावा, नेहरू मिस्र के प्राचीन नहरों और झीलों की बात करते हैं, जो खेती के लिए बनाई गई थीं, यह दिखाता है कि उस समय मिस्र के लोग कितने उन्नत और कुशल थे।

इसके बाद, नेहरू क्रीट द्वीप के बारे में बताते हैं, जहां प्राचीन समय में एक उन्नत सभ्यता थी। वे नोसोस के महल का उल्लेख करते हैं, जिसमें स्नानघर और पानी की पाइपलाइन जैसी आधुनिक सुविधाएं थीं। उन्होंने क्रीट से जुड़े प्रसिद्ध मिथकों का जिक्र भी किया, जैसे राजा मीनास की कहानी, जिसके छूने से सब कुछ सोना बन जाता था, और मिनोटॉर नामक राक्षस की कथा, जिसके लिए लड़के और लड़कियों की बलि दी जाती थी। नेहरू यह समझाने का प्रयास करते हैं कि प्राचीन धार्मिक विचार और बलि अनजाने और भय के कारण होते थे, और यह भी बताते हैं कि अब इंसानों की बलि लगभग समाप्त हो चुका है, हालांकि जानवरों की बलि अभी भी कहीं-कहीं दी जाती है। वे बलि की परंपरा को पूजा करने का अजीब तरीका कहते हैं!

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शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

पत्र 19 | पुरानी दुनिया के बड़े-बड़े शहर | पिता के पत्र पुत्री के नाम

इस पत्र में, जवाहरलाल नेहरू ने प्राचीन दुनिया के बड़े शहरों के बारे में बताया है। उन्होंने समझाया कि प्राचीन सभ्यताएँ मुख्यतः नदियों के किनारे और उपजाऊ घाटियों में बसी थीं, जहाँ पानी और भोजन की प्रचुरता थी। नेहरू ने बाबुल, नेनुवा, और असुर जैसे प्राचीन शहरों का उल्लेख किया, जो अब मिट्टी और बालू के नीचे दब चुके हैं और सिर्फ खुदाई के दौरान उनके खंडहर मिलते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि समय के साथ इन पुराने शहरों के ऊपर नए शहर बस गए, लेकिन धीरे-धीरे वे भी वीरान हो गए और मिट्टी और धूल के नीचे दब गए। उन्होंने दमिश्क का उदाहरण दिया, जो आज भी एक प्राचीन और जीवित शहर है, और संभवतः दुनिया का सबसे पुराना शहर माना जाता है।

नेहरू ने भारतीय प्राचीन शहरों का भी उल्लेख किया, जैसे इंद्रप्रस्थ, जो दिल्ली के पास था और अब उसका कोई निशान नहीं है, और बनारस (काशी), जो दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है। उन्होंने इलाहाबाद, कानपुर, पटना और चीन के पुराने शहरों का भी जिक्र किया, जो नदियों के किनारे स्थित हैं, लेकिन ये इतने पुराने नहीं हैं।

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बुधवार, 13 नवंबर 2024

पत्र 18 | शुरू का रहन-सहन | पिता के पत्र पुत्री के नाम | हिंदी और अंग्रेजी दोनों में

इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू प्राचीन सभ्यताओं और उस समय के लोगों के जीवन पर प्रकाश डालते हैं। वे बताते हैं कि हालाँकि हमें इन सभ्यताओं के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन पत्थरों से बनी पुरानी इमारतों, मंदिरों और महलों के खंडहरों से हमें उस समय के लोगों के रहन-सहन और उनकी गतिविधियों के बारे में कुछ जानकारी मिलती है।

नेहरू बताते हैं कि यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि सबसे पहले इंसानों ने कहाँ बसावट की और सभ्यता का विकास किया। कुछ लोग मानते हैं कि एटलांटिक महासागर में एटलांटिस नामक एक उच्च सभ्यता वाला देश था, जो महासागर में समा गया, लेकिन इसके कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। इसके अलावा, उन्होंने अमेरिका में प्राचीन सभ्यताओं की संभावना का भी उल्लेख किया, जो कोलंबस के अमेरिका की खोज से पहले वहाँ मौजूद थीं।

नेहरू बताते हैं कि यूरोप और एशिया, जिसे युरेशिया कहा जाता है, में प्राचीन सभ्यताएँ मेसोपोटामिया, मिस्र, क्रीट, भारत और चीन में विकसित हुईं। वे बताते हैं कि पुराने जमाने के लोग ऐसे स्थानों को बसावट के लिए चुनते थे, जहाँ पानी की प्रचुरता होती थी, जिससे खेती के लिए आवश्यक पानी उपलब्ध हो सके। इसलिए मेसोपोटामिया, मिस्र, और भारत की प्राचीन सभ्यताएँ नदियों के किनारे बसीं, जो उनके लिए भोजन और अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करती थीं। इन नदियों को पवित्र और पूजनीय माना गया, जैसे मिस्र में नील नदी को "पिता नील" और भारत में गंगा नदी को "गंगा माई" कहा गया।

नेहरू इस बात पर जोर देते हैं कि इन नदियों की पूजा इसलिए की जाती थी क्योंकि ये जीवन के लिए आवश्यक जल और उपजाऊ मिट्टी प्रदान करती थीं, लेकिन लोगों ने समय के साथ इस पूजा के वास्तविक कारण को भुला दिया और केवल परंपरा का पालन करते रहे।

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पत्र 17 | सरग़ना राजा हो गया | पिता के पत्र पुत्री के नाम | हिंदी और अंग्रेजी दोनों में

इस पत्र में नेहरू बताते हैं कि कैसे सरगना (पुराने समय के मुखिया) राजा बने। वह समझाते हैं कि सरगना अपने कबीले या जाति का नेता और पिता होता था। जब सरगना की गद्दी वंशानुगत हो गई, तो वह राजा में परिवर्तित हो गया। राजा ने यह मान लिया कि पूरे देश की हर चीज़ उसकी है, और उसने खुद को पूरा देश समझ लिया। एक फ्रांसीसी राजा ने कहा था, "मैं ही राज्य हूँ," जो इस बात का प्रतीक है कि राजा खुद को जनता का सेवक समझने की बजाय, मालिक समझने लगे।

राजा यह भूल गए कि लोग उन्हें केवल इसलिए चुनते थे क्योंकि वे सबसे समझदार और अनुभवी व्यक्ति माने जाते थे, ताकि वे देश का बेहतर प्रबंधन कर सकें। लेकिन उन्होंने खुद को भगवान का चुना हुआ मानकर यह समझ लिया कि उनके शासन का अधिकार ईश्वर से मिला है, जिसे उन्होंने "राजाओं का दिव्य अधिकार" कहा।

इतिहास में, नेहरू ने समझाया कि कैसे इंग्लैंड, फ्रांस और रूस जैसी जगहों पर लोगों ने अपने राजाओं को उनकी तानाशाही के कारण उखाड़ फेंका। उन्होंने इंग्लैंड के राजा चार्ल्स प्रथम को हटाने और फ्रांस और रूस में बड़ी क्रांतियों का जिक्र किया, जहां लोगों ने अपने राजाओं को निष्कासित कर दिया।

नेहरू ने बताया कि अब ज्यादातर देशों में राजा नहीं हैं और वे गणराज्य बन गए हैं, जहां लोग अपने नेताओं को चुनते हैं। हालांकि, भारत में अभी भी राजा, महाराजा और नवाब हैं, जो जनता से वसूले गए टैक्स का दुरुपयोग करके शाही जीवन जीते हैं, जबकि उनकी प्रजा गरीबी में जीवन व्यतीत करती है और उनके बच्चों के लिए स्कूल तक नहीं हैं।

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