इसी पत्र से: "उस ज़माने में पश्चिमी एशिया और पूर्वी यूरोप में एक नई जाति पैदा हो रही थी। यह आर्य कहलाती थी।संस्कृत में आर्य शब्द का अर्थ है शरीफ आदमी या उँचे कुल का आदमी। संस्कृत आर्यों की एक जबान थी इसलिए इससे मालूम होता है कि वे लोग अपने को बहुत शरीफ ओर खानदानी समझते थे। ऐसा मालूम होता है कि वे लोग भी आजकल के आदमियों की ही तरह शेखीबाज़ थे। तुम्हें मालूम है कि अँगरेज़ अपने को दुनिया में सब से बढ़कर समझता है, फ्रांसीसी का भी यही खयाल है कि मैं ही सबसे बड़ा हूँ, इसी तरह जर्मन, अमरीकन और दूसरी जातियाँ भी अपने ही बड़प्पन का राग अलापते हैं।"
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