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रविवार, 27 मार्च 2011

करुणानिधि जी की आरती

English Version
यह आरती प्रतिदिन प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में या फिर सायंकाल सूर्यास्त के पश्चात् गायी जानी चाहिए. ऐसा करने से घर के पुरुषों को करुणानिधि जी की भांति करोड़ों की संपत्ति और साथ ही अनेक पत्नियों का सुख प्राप्त होता है. करुणानिधि जी कलाईनार, अर्थात कला के विद्वान के नाम से भी जाने जाते हैं. संभवतः यह पैसे कमाने की कला से सम्बंधित है. 

ॐ जय करुणानिधि हरे,
स्वामी जय करुणानिधि हरे,
घरवालों को धन धान्य,
जन सामान्य को आश्वासन,
सदा वरदान में मिले,
ॐ जय करुणानिधि हरे!

पहली पत्नी के बटुए में रु 17.34 करोड़,
दूसरी के बटुए में रु 18.68 करोड़,
अपनी जेब में सिर्फ 4.92 करोड़ ही रखे,
ॐ जय करुणानिधि हरे!

सगे-संबंधियों का व्यापार खूब फूले फले,
पुत्र एवं पुत्री राजसी ताज पहनें,
सबके घर की तिजोरियां लूट से भरें,
ॐ जय करुणानिधि हरे!

सोनिया जी जिन्हें हमेशा याद करें,
रतन टाटा जी भी जिनकी पूछ करें,
डर है कहीं सीबीआई न द्वार खटकाये,
 ॐ जय करूणानिधि हरे!

 करुणानिधि जी की आरती तन, मन, धन से,
जो कोई नर गावे,
कहत चक्की के दोउ पाट,
कहत चक्की के दोउ पाट,
ए. राजा, या बलवा, या बाचा सा फल पावे,
ॐ जय करूणानिधि हरे!

13 टिप्‍पणियां:

  1. जय हो।

    चलो जी आज से मैं भी यह आरती भजना शुरू कर देता है। धीरे धीरे यह लक्ष्मी को प्रसन्न करने की आरती बन जाएगी।

    दे घुमा के। करारा मारा।

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  2. आपका ब्लॉग देखा | बहुत ही सुन्दर तरीके से अपने अपने विचारो को रखा है बहुत अच्छा लगा इश्वर से प्राथना है की बस आप इसी तरह अपने इस लेखन के मार्ग पे और जयादा उन्ती करे आपको और जयादा सफलता मिले
    अगर आपको फुर्सत मिले तो अप्प मेरे ब्लॉग पे पधारने का कष्ट करे मैं अपने निचे लिंक दे रहा हु
    बहुत बहुत धन्यवाद
    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
    http://vangaydinesh.blogspot.com/

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  3. धन्‍य है आरती और उसकी महिमा.

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  4. बहुत सटीक तरह से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया है ....आपका रचनात्मक अंदाज बहुत मौलिक है ..इसे यूँ ही बनाये रखें ..और हमें अपनी रचनात्मकता से निहाल करते रहें ....आपका आभार

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  5. बहुत खूब . ये बड़ा कठिन काम है इतने सुंदर शब्दों में इतनी सटीक स्तुति करना. मुस्कुरा रहा हूँ.

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. मुझे ऐसा क्यों लग रहा है की करूणानिधि की DMK पार्टी के सरे लोग इस आरती को रोज गाते होंगे नहीं तो पार्टी की ये दुर्दशा न होती |

    इतना सुन्दर व्यंग्य पढ़ के भी लेकिन मुझे उस कमीने पर गुस्सा ही आता है :(

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  8. @रमेश: सब आरती का ही कमल है. इसे जो भी गाता है राजा, बलवा,या बाचा सा फल पाता है!

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