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शनिवार, 16 अप्रैल 2011

मायाजाल

ब्रह्माजी और नारद मुनि
ब्रह्माजी अपने चारों हाथों में कुछ कुछ थामे हुए, नियमित वस्त्र एवं आभूषणों में सुसज्जित, कमलासन पर विराजित हो, सरस्वती से गाना सुन रहे थे, तभी अचानक, "नारायण, नारायण," कहते हुए नारद मुनि आ धमके.

सरस्वती अपना गाना-बजाना बंद करके बोली, "लो आ गए आपके मानसपुत्र," और वहां से प्रस्थान कर गयी.

"कहिये नारद, कैसे आना हुआ?" ब्रह्माजी आशंकित स्वर में बोले.